नागपुर की जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को साइकिल सवार विजय धोबले के परिवार को 3 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। कंपनी ने साइकिल दुर्घटना के मामले में मृतक का ड्राइविंग लाइसेंस मांगकर दावा खारिज कर दिया था, जिसे आयोग ने “अनुचित” और “गैरकानूनी” बताया।
विजय धोबले को 1 अक्टूबर 2012 को एक मोटरसाइकिल की टक्कर से गंभीर चोटें आई थीं, जिसके बाद इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनके पास 3 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी थी, जिसके तहत उनकी पत्नी प्रमीला धोबले, जो नामांकित लाभार्थी थीं, ने बीमा दावा किया। हालांकि, बीमा कंपनी ने उनका दावा यह कहकर खारिज कर दिया कि धोबले का मोटरसाइकिल ड्राइविंग लाइसेंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज जमा नहीं किए गए।
सुनवाई के दौरान प्रमीला के वकील ने यह तर्क दिया कि बीमा कंपनी द्वारा साइकिल चालक से ड्राइविंग लाइसेंस की मांग करना न केवल बेतुका है, बल्कि कानूनन भी गलत है। साथ ही बताया गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस के पास थी, जिस कारण उसे जमा करना मुश्किल हुआ।

आयोग के अध्यक्ष सचिन शिंपी और सदस्य बी. बी. चौधरी की पीठ ने पाया कि ड्राइविंग लाइसेंस की गैर-मौजूदगी के आधार पर दावा खारिज करना अवैध है। आयोग ने बीमा कंपनी को न केवल 3 लाख रुपये बीमा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया, बल्कि 30 जनवरी 2014 (जब कंपनी को दावा दस्तावेज प्राप्त हुए थे) से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी जोड़कर देने को कहा।