प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने के आरोप में कार्टूनिस्ट को अग्रिम जमानत देने से मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का इनकार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस कार्यकर्ताओं और हिंदू धार्मिक प्रतीकों को निशाना बनाते हुए सोशल मीडिया पर कथित रूप से आपत्तिजनक कार्टून और पोस्ट साझा करने के आरोपी कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि आरोपी ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के तहत प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है।

3 जुलाई को न्यायमूर्ति सुभाष अभ्यंकर (इंदौर पीठ) ने आदेश पारित करते हुए कहा कि मालवीय द्वारा साझा की गई सामग्री “धार्मिक भावनाएं भड़काने का जानबूझकर किया गया दुर्भावनापूर्ण प्रयास” है और यह “स्वतंत्र अभिव्यक्ति की सीमा को स्पष्ट रूप से पार करता है।”

मालवीय के खिलाफ मई में इंदौर के लसूड़िया थाने में विनय जोशी नामक स्थानीय अधिवक्ता और आरएसएस कार्यकर्ता की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शिकायत में कहा गया था कि मालवीय की पोस्टों से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ा।

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एफआईआर में कई सोशल मीडिया पोस्टों का उल्लेख किया गया है—जिनमें कार्टून, टिप्पणियां, वीडियो और तस्वीरें शामिल हैं। कुछ में कथित तौर पर भगवान शिव पर अनुचित टिप्पणियां की गई थीं, जबकि कुछ में प्रधानमंत्री और आरएसएस कार्यकर्ताओं की व्यंग्यात्मक चित्रण था। कोर्ट ने इन कैरिकेचर और कैप्शन को “अपमानजनक” और “अशोभनीय” करार दिया।

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न्यायमूर्ति अभ्यंकर ने यह भी नोट किया कि मालवीय न केवल विवादास्पद पोस्ट का मूल स्रोत था, बल्कि उसने दूसरों को भी ऐसे पोस्ट साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो उसके दुर्भावनापूर्ण इरादे को दर्शाता है। कोर्ट ने कहा, “ऐसी सामग्री को न तो अच्छे स्वाद में कहा जा सकता है और न ही सद्भावना में।”

मालवीय के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने सिर्फ एक कार्टून साझा किया और फेसबुक पर अन्य उपयोगकर्ताओं द्वारा की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन कोर्ट ने यह तर्क अस्वीकार कर दिया और कहा कि मूल पोस्ट ही आपत्तिजनक था।

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पुलिस ने मालवीय पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की निम्नलिखित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है:

  • धारा 196 – सौहार्द को बाधित करने वाले कार्य,
  • धारा 299 – धार्मिक भावनाएं आहत करना,
  • धारा 352 – जानबूझकर अपमान करना जिससे शांति भंग हो,
  • आईटी एक्ट की धारा 67A – इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री का प्रकाशन।

मामले की जांच जारी है और पुलिस का कहना है कि पोस्ट के इरादे और प्रभाव की गहराई से जांच के लिए अभियुक्त की हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।

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