मेघालय हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी समुदायों के लिए सुलभ साझा कब्रगाहों की स्थापना हेतु भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तत्काल शुरू करे। यह आदेश सार्वजनिक कब्रगाहों की भारी कमी को लेकर दाखिल एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान सोमवार को दिया गया।
मुख्य न्यायाधीश आई. पी. मुखर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू. डिएंगडोह की खंडपीठ ने यह निर्देश देते हुए कहा कि खासी और जैंतिया समुदाय सहित विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों के लिए अंतिम संस्कार की जगह की कमी गंभीर चिंता का विषय है।
अदालत ने यह भी माना कि कुछ संप्रदाय निजी कब्रगाह साझा करने में हिचकिचाते हैं, लेकिन यदि सरकार सार्वजनिक उपयोग के लिए जमीन अधिग्रहित कर साझा कब्रगाह बनाए, तो ऐसे संप्रदायों को उसमें कोई आपत्ति नहीं है।

खंडपीठ ने कहा, “गांवों में, या कम से कम एक बड़ी संख्या में, सामुदायिक भूमि होती है जो गांव के लोगों की साझा संपत्ति होती है। इसका एक हिस्सा साझा कब्रगाह के लिए दिया जा सकता है।” अदालत ने परंपरागत ग्रामीण संसाधनों की भूमिका को समाधान का हिस्सा बनाने की बात कही।
समावेशी और सर्वसम्मत निर्णय सुनिश्चित करने के लिए अदालत ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया। यह समिति जनजातीय परिषदों, चर्च प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों सहित सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श करेगी।
समिति को भूमि अधिग्रहण और कब्रगाह तक पहुंच के तंत्र पर चर्चा करने के साथ-साथ अंतर-संप्रदायिक विवादों के समाधान और गांव की जमीन के उपयोग की संभावनाएं तलाशने की जिम्मेदारी भी दी गई है।
इसके अलावा, अदालत ने मामले में नियुक्त अमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) को निर्देश दिया है कि सभी बैठकों की कार्यवाही का संकलन कर रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत करें, जिससे आगे की सुनवाई में मदद मिल सके।