मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की अपील पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा है। यह अपील एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी ₹1.16 करोड़ की संपत्तियों के अटैचमेंट को बरकरार रखने वाले आदेश को चुनौती देने संबंधी है।
मुख्य न्यायाधीश एम एम श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जी अरुलमुरुगन की खंडपीठ ने ED को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की।
यह नोटिस उस अपील पर जारी किया गया है जिसमें कार्ति ने अपीलीय प्राधिकरण के आदेश को चुनौती दी है, जिसने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई अटैचमेंट को बरकरार रखने के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था।
याचिका में कार्ति ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अनुसार, 13 मार्च 2006 को वित्त मंत्रालय के अंतर्गत विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (FIPB) ने मॉरिशस स्थित M/s Global Communications Services Holdings Limited (M/s GCSHL) को दूरसंचार कंपनी एयरसेल लिमिटेड में निवेश की अनुमति दी थी।
CBI ने 9 अक्टूबर 2011 को FIR दर्ज की और 29 अगस्त 2014 को आरोपपत्र दायर किया। PMLA के तहत ED ने भी शिकायत दर्ज की थी। कार्ति ने दावा किया कि उनका नाम FIR या चार्जशीट में ‘न तो आरोपी के रूप में है और न ही संदिग्ध के रूप में’ शामिल है।
इसके बावजूद, 23 सितंबर 2017 को ED ने उनकी ₹1.16 करोड़ की संपत्तियां अस्थायी रूप से अटैच कर दीं, जिसे बाद में एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने कन्फर्म कर दिया।
कार्ति ने कहा कि अपीलीय प्राधिकरण ने उनकी अपील को “त्रुटिपूर्ण तरीके से खारिज” किया। उन्होंने तर्क दिया कि 12 मार्च 2018 को जब अटैचमेंट की पुष्टि हुई, उस समय तक मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत कोई अभियोजन शिकायत दर्ज नहीं थी।
इसलिए, कानून में निर्धारित समयसीमा पूरी नहीं हुई और अस्थायी अटैचमेंट अपने आप समाप्त हो चुकी थी। ऐसे में, अटैचमेंट की पुष्टि “कानूनी रूप से निष्प्रभावी” हो गई थी और अटैच करने का अधिकार समाप्त हो चुका था।
कार्ति ने कहा कि उनके खिलाफ अभियोजन शिकायत बाद में 13 जून 2018 को दायर की गई, जिसका इस मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

