सिवगंगा हिरासत मौत मामला: मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए, 20 अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश

सिवगंगा में हिरासत में हुई मौत के मामले में मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए 29 वर्षीय मंदिर सुरक्षा गार्ड बी. अजीत कुमार की मौत की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की यह दलील खारिज कर दी कि जांच राज्य पुलिस को ही जारी रखने दी जाए।

मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति एस.एम. सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति ए.डी. मारिया क्लीट की खंडपीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह जांच पूरी कर 20 अगस्त 2025 तक रिपोर्ट अदालत में दाखिल करे। साथ ही, गृह मंत्रालय को आदेश दिया गया कि वह एक सप्ताह के भीतर जांच के लिए एक अधिकारी नामित करे और राज्य पुलिस को सीबीआई को पूरा सहयोग देने के निर्देश भी दिए गए।

यह आदेश बी. अजीत कुमार की 29 जून को पुलिस हिरासत में हुई मौत को लेकर उठे जन आक्रोश और सामाजिक संगठन ‘पीपल्स वॉच’ सहित कई लोगों द्वारा दाखिल जनहित याचिकाओं के मद्देनज़र दिया गया। कुमार मदापुरम भद्रकाली अम्मन मंदिर में सुरक्षा गार्ड थे और उन्हें 27 जून को एक महिला द्वारा चोरी की शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद हिरासत में लिया गया था। महिला ने आरोप लगाया था कि कुमार को गाड़ी पार्क करने के लिए चाबी देने के बाद उसका सोने का आभूषण गायब हो गया।

Video thumbnail

पिछले सप्ताह, न्यायालय ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए राज्य पुलिस की कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि कुमार के शरीर पर चोटों की संख्या और गंभीरता से स्पष्ट होता है कि उसके साथ बेहद क्रूरता की गई। पीठ ने टिप्पणी की थी, “एक आम हत्यारा भी इतनी चोटें नहीं पहुंचाता।”

READ ALSO  कर्मचारी की इरादतन अनुपस्थिति साबित करने का भार अनुशासनात्मक प्राधिकारी पर है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

मंगलवार को, राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता अजमल खान ने सीबीआई को मामला सौंपे जाने का विरोध किया और दलील दी कि एजेंसी ने थूथुकुडी स्टरलाइट विरोध प्रदर्शन (2018) और सत्तानकुलम (2020) में हिरासत में हुई मौतों जैसे मामलों में भी कोई खास प्रगति नहीं की है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि मामले की जांच एक विशेष जांच दल (SIT) को सौंपी जाए।

हालांकि, हाईकोर्ट ने यह याचिका ठुकरा दी और स्पष्ट किया कि “जब राज्य पुलिस कर्मियों की भूमिका पर ही संदेह हो, तो जांच को किसी स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी को सौंपना जरूरी हो जाता है।” अदालत ने यह भी कहा कि SIT में भी राज्य के अधिकारी ही शामिल होंगे, जिससे निष्पक्षता पर सवाल बना रहेगा।

READ ALSO  दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्नी के लिंग सत्यापन के लिए पति की याचिका पर विचार किया

कोर्ट ने कहा, “हम जो भी SIT बनाएंगे, उसमें राज्य के ही अधिकारी होंगे। एक बार फिर निष्पक्षता पर प्रश्न उठ सकता है। इसलिए, बेहतर यही है कि जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी जाए।” न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार पूर्व में सीबीआई जांच के लिए सहमत हो चुकी है।

खंडपीठ ने जिला न्यायाधीश द्वारा प्रस्तुत न्यायिक रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड पर लिया और उसकी एक प्रति सीबीआई को देने का निर्देश दिया। साथ ही, पीड़ित के परिवार को भूमि आवंटन और अजीत कुमार के भाई को नौकरी देने के राज्य सरकार के आश्वासन को भी दर्ज किया।

READ ALSO  Parliament Should Not Decide What Languages Children Are Taught In: State of TN To Madras High Court

अब मामले की अगली सुनवाई सीबीआई द्वारा रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद होगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles