लखनऊ के वकील ने पूर्व सीजेआई की रक्षा के कानूनी प्रयासों के लिए कानून मंत्रालय से ₹1 करोड़ की मांग की

लखनऊ के अधिवक्ता अशोक पांडे ने एक अभूतपूर्व कानूनी कदम उठाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार के कानून और न्याय मंत्रालय से ₹1 करोड़ के मुआवजे की मांग की है। उनका दावा है कि उन्होंने अपने स्तर पर कानूनी प्रयास किए, जिससे भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा को संभावित “अपमान, अपशब्द, यातना और पदच्युत किए जाने” से बचाया।

यह विवाद उन मामलों से जुड़ा है, जो पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मिश्रा के कार्यकाल के दौरान दायर किए थे। न्यायमूर्ति मिश्रा 28 अगस्त 2017 से 2 अक्टूबर 2018 तक देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश रहे। पांडे के अनुसार, उनके कानूनी प्रयास 2018 में न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को विफल करने के लिए थे। यह प्रस्ताव 71 राज्यसभा सांसदों द्वारा अप्रैल 2018 में पेश किया गया था, लेकिन तत्कालीन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने इसे पर्याप्त आधार न होने की वजह से खारिज कर दिया था।

READ ALSO  उपभोक्ता फोरम ने संपत्ति दस्तावेज लौटाने में देरी के लिए यूनियन बैंक को 1 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया

पांडे की मौजूदा कानूनी लड़ाई तब शुरू हुई जब उन्होंने 28 फरवरी 2024 को राष्ट्रपति को ₹1 करोड़ के मुआवजे के लिए आवेदन दिया। राष्ट्रपति सचिवालय ने यह अनुरोध कानून मंत्रालय को भेज दिया, जिसने 26 जुलाई 2024 को इसे ठुकरा दिया। मंत्रालय ने तर्क दिया कि पांडे ने ये कानूनी कार्रवाइयाँ स्वेच्छा से की थीं, न कि सरकार के किसी आदेश या अनुरोध पर।

अपनी रिट याचिका में पांडे ने मंत्रालय के इस फैसले को “कानूनी रूप से गलत” बताते हुए इसे “भारत के राष्ट्रपति का अपमान” करार दिया। उनका कहना है कि राष्ट्रपति सचिवालय को उन अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने राष्ट्रपति के अधिकार को कमजोर करने का प्रयास किया।

अपनी याचिका में पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में दायर उस जनहित याचिका (PIL) का भी हवाला दिया है, जिसमें उन्होंने राज्यसभा सभापति से महाभियोग प्रस्ताव को आगे न बढ़ाने का निर्देश देने की मांग की थी। इसके अलावा, 2018 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर कर रोस्टर तय करने और पीठों के गठन के नियम बनाने की अपील की थी, जिसे अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया था।

READ ALSO  High Court का आदेश जब्त किए गए वाहनों को ज्यादा दिन थाने में न खड़ा करे

फिलहाल, कानून और न्याय मंत्रालय ने इस याचिका पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles