लवासा परियोजना मामला: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शरद पवार, सुप्रिया सुले और अजित पवार के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें लवासा हिल स्टेशन परियोजना के लिए कथित रूप से अवैध अनुमतियां दिए जाने के आरोपों पर वरिष्ठ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) नेता शरद पवार, उनकी बेटी और बारामती की सांसद सुप्रिया सुले, तथा उनके भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई थी।

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखाड़ की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में असफल रहे कि ऐसा कौन-सा कानूनी प्रावधान है, जिसके तहत सिविल अधिकार क्षेत्र में बैठी अदालत पुलिस को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दे सके। इसी आधार पर जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया।

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याचिकाकर्ता अधिवक्ता नानासाहेब जाधव ने अदालत से अनुरोध किया था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को निर्देश देकर शरद पवार, सुप्रिया सुले और अजित पवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया जाए। उनका आरोप था कि पुणे जिले में स्थित लवासा हिल स्टेशन परियोजना के निर्माण के लिए नियमों के विपरीत विशेष अनुमतियां दी गईं।

जाधव ने यह भी कहा कि उन्होंने दिसंबर 2018 में पुणे के पुलिस आयुक्त के समक्ष शिकायत दी थी, जिसमें पवार परिवार के सदस्यों और अन्य के खिलाफ जांच की मांग की गई थी, लेकिन पुलिस ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।

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हाई कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि फरवरी 2022 में इसी याचिकाकर्ता की ओर से दायर उस याचिका में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया गया था, जिसमें लवासा परियोजना को दी गई विशेष अनुमतियों को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी। उस आदेश में अदालत ने यह टिप्पणी जरूर की थी कि शरद पवार और सुप्रिया सुले के प्रभाव और राजनीतिक दबदबे के इस्तेमाल के संकेत दिखाई देते हैं, लेकिन फिर भी राहत देने से इनकार कर दिया गया था।

इसके बाद 2023 में दायर नई जनहित याचिका के जरिए जाधव ने उसी मुद्दे को इस बार आपराधिक जांच की मांग के रूप में उठाया।

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इस वर्ष मार्च में शरद पवार ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया था। उन्होंने कहा था कि याचिकाकर्ता बार-बार एक जैसे या समान आरोपों को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दायर कर रहे हैं, जबकि हाई कोर्ट पहले ही ऐसे दावों पर विचार कर चुका है।

इन सभी तथ्यों को देखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया और लवासा परियोजना से जुड़े मामले में सीबीआई जांच कराने की मांग स्वीकार नहीं की।

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