लोअर कोर्ट के आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती देकर जमानत ले लेना अब बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। दाखिल अपील पर सुनवाई करवा पाने में साल भर से अधिक का समय लग सकता है। अभी हाई कोर्ट में 20 हजार से अधिक अग्रिम और नियमित जमानत की अर्जियां लंबित हैं। साथ ही तीन सौ से अधिक जमानत के मामले कोर्ट में दाखिल होते हैं। मतलब की लंबित मामले खत्म नही हो पाते और नए मामले सामने आ जाते हैं। इस तरह पटना हाई कोर्ट में पेंडिंग मामलों का अंबार लग गया है।
सूत्रों के मुताबिक हाई कोर्ट की स्थिति बद से बत्तर हो गई है। अगर कोई अभियुक्त चोरी के आरोप में पकड़ा गया है और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा उसकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया गया है तो समझलीजिये की चोरी में जितनी सजा है उतने दिनों भी जमानत पर सुनवाई न होने के कारण उसको जेल के रहना पड़ सकता है।
कोरोना काल के उपरांत हाई कोर्ट की स्थिति और गड़बड़ा गई है। अभी तक सभी जज पूरी अवधि तक सुनवाई नही करते हैं। जिसके कारण जमानतों का निपटारा नही हो पा रहा।
वर्तमान में पटना हाई कोर्ट में जजों के 32 पद रिक्त हैं। इस वर्ष 3 जज रिटायर हो जाएंगे। अभी 21 न्यायाधीश ही सुनवाई कर रहे हैं। जिसके कारण मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।
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