“मेरी सबसे पहली चुनौती 90,000 लंबित मामले”: CJI पद की शपथ लेने से पहले जस्टिस सूर्य कांत ने बताया अपना पूरा रोडमैप

देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्य कांत ने अपना पदभार संभालने से ठीक पहले न्यायपालिका के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौतियों और अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट कर दिया है। सोमवार, 24 नवंबर को शपथ लेने जा रहे जस्टिस कांत ने साफ शब्दों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों का अंबार और वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा देना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर होगा। गौरतलब है कि मौजूदा CJI बी.आर. गवई रविवार को सेवा निवृत्त हो रहे हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 30 अक्टूबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए गए जस्टिस सूर्य कांत का कार्यकाल 15 महीने का होगा, जो 9 फरवरी, 2027 तक चलेगा।

“स्कोरबोर्ड” पर 90,000 केस, यह है सबसे बड़ी चुनौती

शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए जस्टिस सूर्य कांत ने सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केसों की संख्या पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे अपनी “पहली और सबसे महत्वपूर्ण चुनौती” बताते हुए कहा कि आज का “स्कोरबोर्ड” दिखा रहा है कि शीर्ष अदालत में लंबित मामलों का आंकड़ा 90,000 को पार कर गया है।

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CJI-नामित जस्टिस कांत ने कहा, “मेरी पहली और सबसे बड़ी चुनौती मुकदमों का बकाया है। मैं इस बहस में नहीं जा रहा कि यह कैसे हुआ या इसके लिए कौन जिम्मेदार है… हो सकता है कि मामलों की लिस्टिंग बढ़ गई हो, लेकिन हमें इसे सुलझाना है।”

इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने एक बहु-स्तरीय रणनीति का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि वे देश भर के हाईकोर्ट और निचली अदालतों से भी पेंडिंग केसों की रिपोर्ट तलब करेंगे ताकि स्थिति का सही आकलन किया जा सके।

लंबित मामलों को कम करने के अपने फॉर्मूले पर बात करते हुए उन्होंने समान प्रकृति के मामलों (grouping of analogous matters) को एक साथ सुनने पर जोर दिया। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे दिल्ली भूमि अधिग्रहण से जुड़े एक फैसले के जरिए करीब 1,200 मामलों का एक साथ निपटारा किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट से उन मामलों की पहचान करने के लिए कहा जाएगा जो सुप्रीम कोर्ट की बड़ी संविधान पीठों के निर्णय पर निर्भर हैं, ताकि उन पर जल्द सुनवाई के लिए बड़ी बेंच का गठन किया जा सके।

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मध्यस्थता (Mediation) साबित होगी “गेम चेंजर”

जस्टिस सूर्य कांत ने अपनी दूसरी बड़ी प्राथमिकता के रूप में ‘वैकल्पिक विवाद समाधान’ (ADR) को रेखांकित किया। उन्होंने मुकदमेबाजी के पारंपरिक तरीकों के बजाय मध्यस्थता को बढ़ावा देने की वकालत की।

उन्होंने कहा, “दूसरा अहम मुद्दा मध्यस्थता है। यह विवाद समाधान के सबसे आसान तरीकों में से एक है और यह वास्तव में एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।”

सोशल मीडिया बना “अनसोशल मीडिया”

जजों की ऑनलाइन ट्रोलिंग और सोशल मीडिया पर फैसलों की आलोचना के मुद्दे पर जस्टिस कांत ने जजों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक बार जब कोई सुप्रीम कोर्ट का जज बन जाता है या CJI का पद संभालता है, तो उसे सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणियों से परेशान नहीं होना चाहिए।

सोशल मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने टिप्पणी की, “साफ तौर पर कहूं तो मैं सोशल मीडिया को ‘अनसोशल मीडिया’ कहता हूं और मैं ऑनलाइन टिप्पणियों से कभी दबाव महसूस नहीं करता।” उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान वे कभी भी इन चीजों से विचलित नहीं हुए। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि जजों और फैसलों की निष्पक्ष आलोचना हमेशा स्वीकार्य है।

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प्रदूषण के बीच भी अनुशासन

दिल्ली-NCR में गिरते वायु गुणवत्ता स्तर और गंभीर प्रदूषण पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने अपनी निजी दिनचर्या साझा की। उन्होंने बताया कि मौसम कैसा भी हो, वे अपनी फिटनेस से समझौता नहीं करते और औसतन 50 मिनट से एक घंटे तक मॉर्निंग वॉक जरूर करते हैं।

जस्टिस सूर्य कांत सोमवार को भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद की शपथ लेंगे और देश की न्याय प्रणाली को नई दिशा देने का कार्यभार संभालेंगे।

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