न्यायाधीश का कार्य न तो वर्चस्व कायम करना है, न ही समर्पण करना: सुप्रीम कोर्ट में विदाई समारोह में बोले सीजेआई संजीव खन्ना

भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित अपने विदाई समारोह में न्यायपालिका और कानूनी पेशे में आ रहे व्यापक बदलावों और उसमें न्यायाधीशों व वकीलों की भूमिका पर विचार व्यक्त किए।

सीजेआई खन्ना ने पारंपरिक वाद-विवाद कला के बजाय विषयगत विशेषज्ञता के महत्व पर जोर दिया और वकीलों से वैकल्पिक विवाद निवारण विधियों, विशेषकर मध्यस्थता को प्राथमिक समाधान के रूप में अपनाने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, “आज हम कानूनी पेशे में व्यापक बदलाव देख रहे हैं। अब अदालतों में बहस की क्षमता के बजाय विषय विशेषज्ञता को अधिक महत्व मिल रहा है। वह दिन दूर नहीं जब मुकदमेबाजी के बजाय मध्यस्थता को विवाद समाधान का मुख्य माध्यम माना जाएगा।”

Video thumbnail

सीजेआई खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट की देशभर में मध्यस्थों की संख्या बढ़ाने और उन्हें प्रशिक्षित करने की हालिया पहल की सराहना की। उन्होंने कहा, “मध्यस्थता केवल विवाद निपटाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह ऐसी व्यवस्था है जो पक्षकारों के हितों के अनुरूप समाधान तलाशने में सहायक है।”

READ ALSO  रामभद्राचार्य द्वारा महात्मा बुद्ध के खिलाफ टिप्पणी पर वाद दायर

अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 106 प्रतिशत केस निस्तारण दर प्राप्त की है, यानी दाखिल मामलों से अधिक मामलों का निपटारा कर लंबित मामलों का बोझ घटाया है।

अपने न्यायिक जीवन पर विचार करते हुए सीजेआई खन्ना ने कहा, “मैंने 20 वर्षों तक सेवा दी है। मुझे कोई मिश्रित भावना नहीं है। मैं केवल संतुष्ट और कृतज्ञ हूं कि मैंने भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होने का सौभाग्य प्राप्त किया। दिल्ली हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनना भी मेरे लिए सपने के पूरे होने जैसा था।”

सीजेआई खन्ना ने न्यायपालिका में एक गंभीर मुद्दे, ‘सत्य के अभाव’ (truth deficit) की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, “एक न्यायाधीश का मुख्य कार्य सत्य की खोज करना है। हमें अक्सर तथ्यों को छुपाने और जानबूझकर गलत जानकारी देने की प्रवृत्ति का सामना करना पड़ता है, जिसे लोग सफलता का साधन मान बैठते हैं। यह न केवल असफल होता है, बल्कि न्यायपालिका पर अनावश्यक बोझ भी डालता है।” उन्होंने महात्मा गांधी के उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा, “सत्य ही ईश्वर है।”

READ ALSO  अनियमित अंतरधार्मिक विवाह के बावजूद धारा 498ए के तहत अपराध वैध: केरल हाईकोर्ट

न्यायाधीश की भूमिका स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, “किसी न्यायाधीश का कार्य न तो अदालत में वर्चस्व स्थापित करना है और न ही समर्पण करना। संतुलन और निष्पक्षता ही न्यायालय की कार्यप्रणाली का मार्गदर्शक होना चाहिए।”

कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के अगले प्रधान न्यायाधीश जस्टिस बी आर गवई ने भी संबोधन दिया। उन्होंने कहा, “बार और बेंच न्यायपालिका के दो अभिन्न पहिये हैं। सीजेआई खन्ना ने न्यायिक आचरण से जुड़े मामलों में संयम और दृढ़ता के साथ नेतृत्व किया और अदालत की गरिमा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”

READ ALSO  Supreme Court Round-Up for Feb 9

उन्होंने सीजेआई खन्ना के कार्यकाल को विनम्रता और न्यायिक सुधारों को चुपचाप प्रोत्साहित करने के लिए सराहा। “आपका कार्यकाल किसी दिखावे या शोर के लिए नहीं, बल्कि न्यायपालिका के सतत विकास के लिए आवश्यक सुधारों को चुपचाप प्रोत्साहित करने के लिए याद किया जाएगा।”

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles