13 वर्षीय लड़की की मौत मामले में जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाई कोर्ट ने CBI जांच के आदेश, पुलिस जांच पर कड़ी टिप्पणी

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने अगस्त 2024 में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाई गई 13 वर्षीय लड़की के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने जिला पुलिस की जांच पर गहरी असंतुष्टि जताते हुए कहा कि मामले की सच्चाई तक पहुंचने के लिए कोई गंभीर प्रयास होते हुए दिखाई नहीं देते।

न्यायमूर्ति राहुल भारती ने कहा कि कोर्ट इस बात से “न तो प्रभावित है और न ही आश्वस्त कि नाबालिग की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए पुलिस की ओर से कोई गंभीर-मन वाला प्रयास किया जा रहा है।”

मृतका जम्मू के भलवाल तहसील के एक गांव की निवासी थी। उसका शव 15 अगस्त 2024 को फांसी पर लटका हुआ पाया गया था। लड़की के पिता ने अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म और हत्या की आशंका जताते हुए 8 अक्टूबर 2024 को हाई कोर्ट का रुख किया था।

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याचिकाकर्ता ने पुलिस द्वारा मौत के कारणों का पता लगाने में “विफलता” का आरोप लगाते हुए मामले की जांच अपराध शाखा, जम्मू को सौंपने की मांग की थी।

10 दिसंबर को पारित अपने आठ पृष्ठों के आदेश में न्यायमूर्ति राहुल भारती ने पुलिस द्वारा दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट्स पर कड़ी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक जांच एक प्रोबेशनरी सब-इंस्पेक्टर को सौंप दी गई, जो नाबालिग लड़की की संदिग्ध मौत जैसे गंभीर मामले को “रूटीन मानसिकता” के साथ लेने को दर्शाता है।

कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि जांच में लगातार हो रही देरी से अहम साक्ष्य नष्ट हो सकते हैं और इसका परिणाम “घटनाओं का एक मिलावटी संस्करण” सामने आने के रूप में होगा।

कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2024 को एसडीपीओ, अखनूर द्वारा दाखिल पहली स्टेटस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मात्र दो पृष्ठों की औपचारिक, पैरा-वार रिपोर्ट थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दो महीने की अवधि में कोर्ट को बताने लायक कोई ठोस तथ्य सामने नहीं लाया गया।

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आदेश में तथाकथित दूसरी स्टेटस रिपोर्ट का भी उल्लेख किया गया, जिसमें फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया था कि जांच के लिए भेजे गए नमूनों में कोई सामान्य ज़हर, दवा या मानव शुक्राणु नहीं पाया गया।

डॉक्टरों के बोर्ड की अंतिम राय के अनुसार, पोस्टमार्टम निष्कर्षों तथा FSL और HPE (हिस्टोपैथोलॉजिकल एग्ज़ामिनेशन) रिपोर्ट के आधार पर मौत का कारण ‘एंटे-मॉर्टम हैंगिंग’ से उत्पन्न ‘अस्फिक्सिया’ बताया गया।

तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हस्तक्षेप को आवश्यक मानते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि वह “पूरी तरह आश्वस्त है कि यह ऐसा मामला है जिसमें जांच किसी और के द्वारा नहीं बल्कि केवल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा ही की जानी चाहिए।”

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कोर्ट ने मामले में इन-चार्ज स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम, एसडीपीओ अखनूर और CBI जम्मू के पुलिस अधीक्षक वी. चंदू को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। साथ ही, 18 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए पूरे इन्क्वेस्ट और जांच रिकॉर्ड को पेश करने का आदेश दिया।

यह आदेश दर्शाता है कि हाई कोर्ट ने नाबालिग की मौत की जांच में स्थानीय पुलिस पर भरोसा खो दिया है और मामले की निष्पक्ष व प्रभावी जांच के लिए CBI को जिम्मेदारी सौंपी है।

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