सुप्रीम कोर्ट में युवा वकीलों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि अब नामित वरिष्ठ वकीलों को सुप्रीम कोर्ट में मामलों की ‘मेंशनिंग’ — यानी अर्जेंट सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध — करने की अनुमति नहीं होगी। यह निर्देश खुली अदालत में दिया गया और आगामी सोमवार से लागू होगा।
क्या होती है ‘मेंशनिंग’ और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
‘मेंशनिंग’ अदालत की वह प्रक्रिया है जिसके ज़रिए वकील किसी मामले की तत्काल सुनवाई के लिए उसे न्यायालय की सूची में प्राथमिकता से रखने का अनुरोध करते हैं। यह प्रथा प्रतिदिन कार्यवाही शुरू होने से पहले की जाती है और विशेष रूप से ऐसे मामलों के लिए अहम होती है जिनमें त्वरित न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। अब तक वरिष्ठ वकील प्रायः इस प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं।
“जूनियर वकीलों को भी मौका मिलना चाहिए”
कोर्ट की कार्यवाही के दौरान, मुख्य न्यायाधीश गवई ने मेंशनिंग प्रक्रिया में वरिष्ठ वकीलों के दबदबे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह मांग सामने आई है कि वरिष्ठ वकीलों को अब मेंशनिंग का अधिकार नहीं होना चाहिए।”

इसके बाद उन्होंने कोर्ट मास्टर को निर्देशित किया, “इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी जाए कि अब वरिष्ठ वकील मामलों की मेंशनिंग नहीं कर सकेंगे।”
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि यह बदलाव युवाओं को मंच देने की सोच से प्रेरित है। उन्होंने कहा, “सोमवार से कोई भी वरिष्ठ वकील या नामित वरिष्ठ वकील मेंशनिंग नहीं कर सकेगा। अब जूनियर वकीलों को यह अवसर मिलना चाहिए।”