जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों की अदालत में पेशी को लेकर एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) लागू की है। यह एसओपी मुख्य न्यायाधीश ताशी रबस्तान द्वारा घोषित की गई, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों की न्यायालय में उपस्थिति को सुव्यवस्थित करना है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप उठाया गया है।
नई एसओपी के तहत, अब अधिकारियों को अदालत की पूरी कार्यवाही के दौरान खड़े रहने की आवश्यकता नहीं होगी, जब तक वे कुछ बोल नहीं रहे हों। इसके अलावा, अदालतों को अधिकारियों के पहनावे या पृष्ठभूमि पर कोई टिप्पणी करने से परहेज करने के निर्देश दिए गए हैं। बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य न्यायिक कार्यवाही के दौरान व्यावसायिकता और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करना है।
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल शहजाद अज़ीम ने बताया कि यह एसओपी सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के अनुपालन में जारी की गई है जिसमें सभी हाईकोर्टों को सरकारी कर्मचारियों की पेशी से संबंधित नियम निर्धारित करने के लिए कहा गया था।

नई एसओपी की प्रमुख विशेषताएं:
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग: सरकारी अधिकारी पहले चरण में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हो सकते हैं। अदालतों को कम से कम एक दिन पूर्व वीडियो लिंक और आवश्यक जानकारी साझा करनी होगी। शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता केवल उन मामलों में होगी जहां यह अत्यंत आवश्यक हो।
- भौतिक उपस्थिति: जब अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य हो, तो अदालत को इसके कारण पहले से स्पष्ट करने होंगे और समय से सूचना प्रदान करनी होगी, ताकि अधिकारी उचित तैयारी कर सकें।
- अदालती आचरण: सुनवाई के दौरान अधिकारी बैठ सकते हैं, जब तक वे सक्रिय रूप से कुछ बोल नहीं रहे हों। यह निर्देश इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि अदालत की कार्यवाही व्यक्ति की शारीरिक मुद्रा के बजाय उनके योगदान पर केंद्रित हो।
- कार्यवाही का प्रकार: एसओपी में कार्यवाहियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है — साक्ष्य-आधारित मामलों, संक्षिप्त कार्यवाहियों, और गैर-प्रतिस्पर्धात्मक मामलों — तथा प्रत्येक श्रेणी में अधिकारियों की भूमिका और उपस्थिति के निर्देश स्पष्ट किए गए हैं।
एसओपी में यह भी कहा गया है कि सरकारी नीतियों की जटिलता को देखते हुए अदालतों को अनुपालन की समय-सीमा तय करते समय व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और आवश्यकतानुसार समय विस्तार देना चाहिए।
मानहानि कार्यवाही (कॉन्टेम्प्ट) पर दिशा-निर्देश:
एसओपी में अदालतों को निर्देश दिया गया है कि अवमानना कार्यवाही के मामलों में व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग से पहले स्पष्टीकरण हेतु नोटिस जारी करें। इससे संतुलित न्यायिक प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा और अधिकारी को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर मिलेगा।
यह एसओपी न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाने की दिशा में भी एक अहम पहल मानी जा रही है।