सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट बुलंदशहर के लिए अधिगृहीत जमीन के मुआवजे के भुगतान का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर की खुर्जा तहसील के दशहरा खेरली गांव की अधिग्रहीत जमीन के तय मुआवजे को सही करार देते हुए एडीएम भूमि अधिग्रहण बुलंदशहर को विपक्षी की आपत्ति को सुनकर तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने यह आदेश सीबीआई की जांच रिपोर्ट को देखते हुए दिया है। रिपोर्ट में कहा गया कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण कब्जा नहीं लिया जा सका। उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों ने कब्जा लेने की ड्यूटी नहीं निभाई। जिस पर 15 एफआईआर दर्ज है। सीबीआई ने यह भी कहा कि मुआवजा तय करने में कोई अवैधानिकता नहीं है। अधिकारियों का दुराशय नहीं था। जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप न करते हुए तय मुआवजे का सुनकर भुगतान करने का निर्देश दिया है।

READ ALSO  शिक्षा का व्यवसायीकरण एक अभिशाप है- हाईकोर्ट ने बीसीआई को लॉ कॉलेजों का औचक निरीक्षण करने का निर्देश दिया

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कमल सिंह व तीन अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में ए डी एम को मुआवजे का भुगतान करने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी।

Play button

मालूम हो कि यूपीएसआईडीसी कानपुर नगर ने 13 फरवरी 1990 को योजनाबद्ध औद्योगिक विकास के लिए जमीन का अधिग्रहण किया। याची तीन भाई व मां है। इनके पिता ने तय मुआवजा मंजूर कर लिया था। अपने भाई के वारिश की हैसियत से उनका मुआवजा भी स्वीकार कर लिया था। समझौते में 721 रूपये प्रति वर्गमीटर मुआवजा तय हुआ। किंतु विपक्षियों की आपत्ति के कारण भुगतान नहीं हो सका। किसानों ने मुआवजा बढ़ाने की मांग में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। सरकार पर 275 करोड़ की देनदारी थी। इसकी जांच बैठी और हाई पावर कमेटी गठित हुई। अधिग्रहीत जमीन टेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट निगम को सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट बनाया जाना था। राज्य औद्योगिक विकास निगम किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण जमीन पर कब्जा नहीं ले सका।इसकी सी बी आई जांच कराई गई। मुआवजा तय करने में अधिकारियों को क्लीन चिट के बाद कोर्ट ने याचियों को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया।

READ ALSO  पति को सिर्फ इसलिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह उन परिस्थितियों के बारे में नहीं बता सका जिनमें पत्नी उसके घर में मृत पाई गई थी: बॉम्बे हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles