इंदौर: इंदौर फैमिली कोर्ट ने एक पति द्वारा दायर तलाक की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अपनी पत्नी पर शादी से पहले चर्म रोग (विटिलिगो/सफेद दाग) छिपाने और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि पति द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और झूठे थे। इसके विपरीत, कोर्ट ने पति को ही अपनी पत्नी के साथ क्रूरता करने और विवाहेतर संबंध (Extra-marital affair) रखने का दोषी माना।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला इंदौर के एक मोबाइल सर्विस सेंटर व्यवसायी और पेशे से डॉक्टर उनकी पत्नी से जुड़ा है। दोनों का विवाह जनवरी 2011 में भागीरथपुरा, इंदौर स्थित आर्य समाज मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ था।
शादी के कुछ समय बाद, पति ने फैमिली कोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक की याचिका दायर की। अपनी याचिका में उसने दावा किया कि पत्नी को शादी से पहले विटिलिगो (सफेद दाग) की बीमारी थी, जिसे उसने और उसके परिवार ने जानबूझकर छिपाया। पति ने इसे धोखाधड़ी बताया और यह भी आरोप लगाया कि पत्नी का व्यवहार उसके और उसके परिवार के प्रति क्रूरतापूर्ण था।
पत्नी का पक्ष और प्रतिदावा
पत्नी ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए अपने जवाब में कहा कि उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। उसने आरोप लगाया कि ससुराल वाले उससे 10 लाख रुपये की मांग कर रहे थे। एक योग्य डॉक्टर होने के बावजूद, उसे घर के छोटे-मोटे काम और बाथरूम साफ करने जैसे कार्यों के लिए मजबूर किया जाता था।
पत्नी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2017 में पति ने व्यवसाय बढ़ाने के बहाने उसे और उनके बच्चे को छोड़ दिया था और वह किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंधों में रह रहा था।
वकीलों की दलीलें
पति के वकील ने तर्क दिया कि बीमारी छिपाने के कारण विवाह अमान्य होना चाहिए और पत्नी की क्रूरता के कारण साथ रहना संभव नहीं है।
वहीं, पत्नी की ओर से पैरवी करते हुए एडवोकेट कृष्ण कुमार कुन्हारे और डॉ. रूपाली राठौर ने कोर्ट के समक्ष शादी की तस्वीरें पेश कीं। उन्होंने तर्क दिया कि इन तस्वीरों में पत्नी के हाथों पर सफेद दाग स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे, जिससे यह साबित होता है कि पति को शादी के समय इस बीमारी की पूरी जानकारी थी और कुछ भी छिपाया नहीं गया था।
इसके अलावा, वकीलों ने पति के चरित्र पर सवाल उठाते हुए कोर्ट को बताया कि पति ने अपने हाथ पर किसी अन्य महिला के नाम का टैटू गुदवाया हुआ है, जो उसके विवाहेतर संबंधों का प्रमाण है। इस संबंध में उन्होंने कोर्ट में तस्वीरें भी प्रस्तुत कीं।
कोर्ट का विश्लेषण और निष्कर्ष
सभी पक्षों को सुनने और सबूतों का बारीकी से परीक्षण करने के बाद, कोर्ट ने पति की गवाही को अविश्वसनीय पाया।
- बीमारी छिपाने के आरोप पर: कोर्ट ने माना कि बचाव पक्ष द्वारा पेश की गई शादी की तस्वीरों से यह स्पष्ट है कि विटिलिगो के दाग शादी के समय दिखाई दे रहे थे। अतः, पति का यह दावा कि बीमारी छिपाई गई थी, तथ्यात्मक रूप से गलत साबित हुआ।
- व्यभिचार (Adultery) पर: जिरह (Cross-examination) के दौरान जब पति से उसका हाथ दिखाने और टैटू की पुष्टि करने के लिए कहा गया, तो उसने इसे “निजी मामला” बताते हुए इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस इनकार को गंभीरता से लिया और माना कि यह पत्नी द्वारा लगाए गए अवैध संबंधों के आरोपों की पुष्टि करता है।
- क्रूरता पर: कोर्ट ने यह भी नोट किया कि पति और उसके परिवार के खिलाफ पहले से ही क्रूरता और दहेज प्रताड़ना का आपराधिक मामला लंबित है, जिसमें वे जमानत पर हैं। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पत्नी को बिना किसी उचित कारण के छोड़ देना, दहेज मांगना और दूसरी महिला के साथ रहना, पत्नी के प्रति गंभीर मानसिक और शारीरिक क्रूरता की श्रेणी में आता है।
फैसला
फैमिली कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पति अपनी पत्नी के खिलाफ धोखाधड़ी या क्रूरता के किसी भी आधार को साबित करने में विफल रहा है। इसके बजाय, रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि पति ही गलत था और उसने अपनी पत्नी व बच्चे का परित्याग किया है। इन आधारों पर कोर्ट ने पति की तलाक याचिका को खारिज कर दिया।

