दिल्ली के अरविंदो कॉलेज में शिक्षिका पद पर तैनात प्रोफेसर को उनके द्वारा ली गई मैट्रिनिटी लीव के कारण कॉलेज प्रशाशन ने उन्हें सेवा से निष्काषित कर दिया था
Supreme Court ने 28 अक्टूबर 2020 को एक याचिका को खारिज कर दिया गया जो दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी।
उस याचिका में दिल्ली विश्वविद्यालय के एक सम्बद्ध महाविद्यालय ने एक अध्यापिका को उसके मैट्रिनिटी लीव लेने के बाद निष्काषित कर दिया था
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अरविंदो कॉलेज ने मातृत्व अवकाश लिए जाने के बाद अध्यापिका को नौकरी से बर्खास्त किया है मातृत्व अवकाश लेना किसी की सेवा समाप्त करने का आधार नही हो सकता।
मामला विस्तार से-
दिल्ली के अरविंदो कॉलेज में एक अध्यापिका संविदाकर्मी के रूप में तैनात थी जिनका हर चार महीने में नियुक्ति का नवीनीकरण हो जाता है।
बीते नवंबर 2018 में कॉलेज द्वारा अनुबंध का नवीनीकरण हुआ और जनवरी 2019 में शिक्षिका मातृत्व अवकाश पर चली गई, जिस पर कॉलेज प्रशाशन ने मार्च 2019 को टीचर को सेवा से हटा दिया था।
सेवा से निकाले जाने के बाद अध्यापिका ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई।
कोर्ट ने कॉलेज प्रशाशन द्वारा मातृत्व अवकाश लेने से वादी को ससपेंड कर देने का कॉलेज के निर्णय को गलत ठहराया और कहा कि केवल मातृत्व अवकाश लेना उसको सेवा से हटा देने का आधार नही हो सकता।
कॉलेज ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट द्वारा दिये गए आदेश को चुनौती दी।
टीचर के मातृत्व अवकाश लेने पर बर्खास्त करने केआदेश को सुप्रीम कोर्ट ने माना गलत