कर्मचारी को कोर्ट से अग्रिम जमानत की याचिका मांगना पड़ गया महंगा, कोर्ट ने कर्मचारी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर होने का आदेश जारी किया।
50 लाख रुपयों को लेकर फरार
कंपनी के लगभग 50 लाख रुपयों को लेकर फरार कर्मचारी द्वारा हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की याचिका दायर करना महंगा साबित हो गया।
हाई कोर्ट ने दायर याचिका को खारिज करते हुए आरोपी कर्मचारी विपिन कुमार को
1 नवंबर तक कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
यदि वह कोर्ट के इस आदेश की अवमानना करता है तो कोर्ट गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर को
विपिन कुमार की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित करने का आदेश देगी।
और टीम दो माह के भीतर विपिन कुमार को अरेस्ट कर कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने रिपोर्ट फ़ाइल करे।
हाई कोर्ट के न्यायाधीश अरविन्द सिंह सांगवान ने आरोपी विपिन कुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह आदेश जारी किए।
कंपनी के निर्देशक ने गुरुग्राम के सेक्टर 56 पुलिस स्टेशन में 24 मई 2019 को अपनी प्राथमिकी दर्ज दर्ज कराई
उसमे बताया गया कि कर्मचारी विपिन कुमार कंपनी के रुपयों के लेंन देंन का काम करता था।
एक दिन वह निर्देशक के घर से 48 लाख 50 हजार रुपये लेकर कंपनी के लिए निकला ,
लेकिन रास्ते से ही लापता हो गया ।
कॉल करने पर मोबाइल नो बंद जा रहा था
प्रथमिकी दर्ज होंने के बाद विपिन कुमार ने विगत वर्ष हाई कोर्ट उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में
अग्रिम जमानत के लिए एक अर्जी लगाई ।
दोनों कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद दोबारा हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की ।
इस पर पुलिस ने कोर्ट के समक्ष बयान दिया कि इस पूरे प्रकरण में शिकायत दर्ज हुए एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद भी याचिकाकर्ता कोर्ट में पेश नही हो रहा ।
कोर्ट को इस बात की भी जानकारी दी गई कि आरोपी ने कई जगहों पर फर्जी कागजातों से
जिला व हाई कोर्ट में जमानत लेने की कोशिश की हो।
हाई कोर्ट का आदेश-
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी विपिन कुमार को आदेश दिया है कि 1 नवंबर 2020 तक वह ट्रायल कोर्ट में सरेंडर कर दे
वरना गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया कि वह विपिन कुमार को अरेस्ट कर 2 माह के भीतर
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार के समक्ष रिपोर्ट जमा करे।