सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर निर्णय अपलोड करने में हुई देरी के कारणों की जानकारी देने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की एक खंडपीठ एसएलपी की सुनवाई कर रही थी।
वकील ने अदालत को सूचित किया कि एसएलपी में लगाया गया निर्णय दिनांक 06.11.2019 है, लेकिन इसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर मई 2020 के महीने में अपलोड किया गया था।
देरी क्यों हुई? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह वेबसाइट पर निर्णय अपलोड करने में इस तरह की बेवजह देरी के बारे में कोर्ट को सूचित करें।
इस मामले में रजिस्ट्रार जनरल को 3 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है।
हाल ही में, एक अन्य मामले में, सर्वाेच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालयों को याद दिलाया कि निर्णय देने में देरी करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों का उल्लंघन है।
उक्त मामले में, निर्णय का ऑपरेटिव भाग 21.01.2020 को सुनाया गया था, लेकिन इसके कारण 9 महीने 09.10.2020 को बाद अपलोड किए गए थे।
Case Details:
Title: Surendra Pratap Singh Vs. Vishwaraj Singh
Case No.:[ SLP(c) Diary No(s). 18912/2020
Coram: Hon’ble Justice Sanjay Kishan Kaul and Hon’ble Justice Hrishikesh Roy