कल, Supreme Court में माननीय न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, माननीय न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और माननीय न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की एक पीठ ने एक याचिका पर विचार किया, जिसमें संसद से कुछ विषयों पर कानून बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की गयी थी।
Supreme Court ने इस आधार पर याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि न्यायालय किसी विशेष कानून को बनाने के लिए विधायिका को निर्देश नहीं दे सकता है।
हाल ही में, बीएस राजेश अग्रजीत नामक एक व्यक्ति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में, उन्होंने कई राहतें मांगीं।
आइए याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई सभी राहत पर एक नज़र डालें –
- वह चाहते थे कि सरकार लिंचिंग, हिरासत में होने वाली मौतों, बलात्कार पीड़ितों, ड्यूटी पर सरकारी कर्मचारी की मौत, कोविड 19 मंे डॉक्टरों की मौत जैसे मामलों में मुआवजा देने के लिए एक मजबूत समान योजना तैयार करे।
- उन्होंने सरकार से खेल खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए मजबूत नीतियों और कानूनों को लागू करने का अनुरोध किया, जो ओलंपिक और एशियाई खेलों जैसे विभिन्न खेल आयोजनों में हमारे देश के लिए प्रशंसा लाते हैं।
- वह एक मानकीकृत योजना भी चाहते थे, जहाँ माओवादी हमलों में मौत हो जाती है, हिरासत में मौत, औद्योगिक दुर्घटनाओं (भोपाल गैस रिसाव) के कारण मृत्यु, बलात्कार पीड़ितों इत्यादि जैसे विभिन्न कारणों से मरने वाले लोगों को मुआवजे के रूप में सेवा प्रदान की जानी चाहिए।
वह उन लोगों के लिए एक मानकीकृत निवारण योजना या कानून भी चाहते थे, जिन्हें देश भर में विभिन्न दंगों, आंदोलन या धरने के कारण नुकसान उठाना पड़ा हो।
यह भी अनुरोध किया गया था कि सरकार को दंगों, धरने या आंदोलन के कारण नुकसान या क्षति के लिए अधिकारियों या संघों की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।
न्यायालय का निर्णय
न्यायालय ने यह माना कि, व्यवस्थित कानून के अनुसार, संसद को कानून बनाने का निर्देश देते हुए, मैण्डमस की एक रिट जारी नहीं की जा सकती है।
न्यायालय ने यह भी देखा कि यदि कार्यकारी किसी योजना को लागू करना चाहती है, तो यह उनकी नीति का मामला है और न्यायालय इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। तदनुसार, याचिका खारिज कर दी गई।
Case Details
Title: B.S. RAJESH AGRAJIT VERSUS UNION OF INDIA
Case No. WPC No. 1091/2020
Date of Order: 05.10.2020
Coram: Hon’ble Justice D.Y Chandrachud, Hon’ble Justice Indu Malhotra and Hon’ble Justice Indira Banerjee
Advocates: Mr Shyamal Kumar for the petitioner.