Allahabad High Court ने अपने हॉल ही के आदेश में ऑटो कंपनी स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन के खिलाफ गाड़ियों में पर्यावरण से धोखाधड़ी के उपकरण लगाने के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से मना कर दिया है।
यह आदेश स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम स्टेट ऑफ यूपी में पारित किया गया है।
तत्काल मामले में, याचिकाकर्ता, स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, ने एक रिट याचिका दायर की और कोर्ट से अनुरोध किया कि नोएडा सेक्टर 20 पुलिस स्टेशन, गौतमबुद्धनगर में दर्ज 10.07.2020 एफआईआर को रद्द किया जाए। उन्होंने अदालत से मामले में स्थगन आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया।
आदेश के अनुसार, शिकायतकर्ता ने स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की अधिकृत डीलरशिप के माध्यम र्से करोड़ों रुपये की 7 ऑडी ब्रांड की कारें खरीदी थी।
शिकायतकर्ताओं को आश्वासन दिया गया था कि भारत में उत्सर्जन मानदंड अन्य देशों जैसे उतने सख्त नहीं है और याचिकाकर्ताओं द्वारा बेचे गए वाहनों में कोई धोखा देने वाले उपकरण नहीं था।
हालांकि, जब शिकायतकर्ता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित दिनांक 07.03.2019 के आदेश को पढ़ा, तो उन्हें पता चला कि याचिकाकर्ताओं ने उनके द्वारा निर्मित सभी वाहनों में एक डिवाइस स्थापित किया था और बाद में परीक्षण करने पर डिवाइस ने कम उत्सर्जन स्तर दिखाया। शिकायतकर्ता ने ठगा महसूस किया और याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
याचिकाकर्ताओं के तर्क
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे पहले से ही राष्ट्रीय हरी न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर चुके है। आगे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपील में नोटिस जारी किया हैं और अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी कठोर कदम याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ना उठाया जाए।
वकील ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में, पहली बार में एफआईआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए थी।
शिकायतकर्ता के वकील द्वारा दिये गये तर्क
शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा निर्मित वाहनों में लगाए गए धोखा उपकरण एक बहुत बड़ी घटना है और इसके सन्दर्भ में लोकसभा में भी सवाल उठाए गए थे। लोकसभा के सामने रखे गए विवरण के अनुसार, याचिकाकर्ता द्वारा निर्मित 2.75 लाख वाहनों को सॉफ्टवेयर अपडेशन और मरम्मत की आड़ में वापस बुलाया गया था।
ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के उनके जवाब में, याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि जिन 2.75 लाख वाहनों को वापस बुलाया गया था, उनमें से कई के उत्सर्जन स्तर थे जो अनुमेय बीएस-4 मानदंडों से अधिक थे। वकील ने कहा कि क्या ये बढ़े हुए स्तर दोषपूर्ण उत्सर्जन के कारण थे या उपकरणों को धोखा देना, ये जांच का विषय है।
एजीए श्री एएन मुल्ला ने यह कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देश कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई भी कठोर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए, केवल एनजीटी और सीपीसीबी के लिए बाध्यकारी होगा क्योंकि वे मामले में एक पक्षकार थे।
इसलिए, यह निर्देश उन निजी व्यक्तियों पर लागू नहीं किया जा सकता है जो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकते हैं, यदि उन्हें तत्काल मामले में धोखा महसूस हुआ हो।
Allahabad High Court का निर्णय
कोर्ट ने कहा कि क्या प्रतिवादी द्वारा खरीदी गई कारों में एक धोखा देने वाले उपकरण स्थापित किए गया थे या नहीं और क्या वे बीएस-4 मानदंडों को पूरा करते हैं, इसकी जांच की जानी चाहिए और इस लिए यह कोर्ट जांच में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश की याचियों द्वारा गलत विवेचना की जा रही है, क्योंकि उसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने पर कोई रोक नहीं लगायी है।
उपरोक्त के आलोक में हाईकोट ने प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया गया।
हालांकि, अदालत ने अधिकारियों को निर्देश देकर याचिकाकर्ताओं को एक रियायत दी कि धारा 173 (2) सीआरपीसी के अनुसार पुलिस रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक याचिकाकर्ता को इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।
Case Details:-
Title: Skoda Auto Volkswagen India Pvt Ltd vs State of UP & Ors
Case No. : Crm Misc W.P 9223 of 2020
Date of Order: 1.10.2020
Coram : Hon’ble Justice B. Amit Sthalekar and Hon’ble Justice Shekhar Kumar Yadav
Counsel For the Petitioner: Mr Syed Imran Inrahim ;
Counsel for Respondent Mr Gopal Swarup Chaturvedi