सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक स्वायत्त निकाय द्वारा नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिए एक जनहित याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने केंद्र सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोेर्ट ने अलग-अलग ओटीटी / स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर सामग्री की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित बोर्ड / संस्था / संघ की मांग करने वाले अधिवक्ता शशांक शेखर झा और अपूर्वा अरहिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, यह आदेश पारित किया है।
याची ने कह कि देश में सिनेमा घर जल्द ही खुलने की संभावना नहीं है। ओटीटी / स्ट्रीमिंग और विभिन्न डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों ने निश्चित रूप से फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को अपनी फिल्मों के लिए मंजूरी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बारे में चिंतित हुए बिना अपनी सामग्री जारी करने का एक तरीका दे दिया है।
यह कहा गय कि वर्तमान में, हालांकि, इन डिजिटल सामग्रियों की निगरानी और प्रबंधन तथा नियंत्रण करने वाला कोई कानून या स्वायत्त निकाय नहीं है, और इसे बिना किसी फ़िल्टर या स्क्रीनिंग के बड़े पैमाने पर जनता के लिए उपलब्ध कराया जाता है।
याची द्वार आगे कहा गया कि ओटीटी / स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का संचालन करने वाले कानून की कमी से प्रत्येक दिन नये मामले दर्ज हो रहे है, जहॉ गलत सामग्री जनता के सामने पेश की जा रही है।
याचिका में कहा गया है कि अभी भी संबंधित सरकारी विभागों ने इन ओटीटी / स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को नियमित करने के लिए कुछ खास नहीं किया है।
याची ने कहा कि नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, ज़ी 5 और हॉटस्टार सहित ओटीटी / स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों में से किसी ने भी फरवरी 2020 से सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए स्व-नियमन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
मंत्रालय ने पहले एक अलग मामले में शीर्ष अदालत को बताया था कि डिजिटल मीडिया को विनियमित करने की आवश्यकता है और अदालत मीडिया में अभद्र भाषा के नियमन के संबंध में दिशानिर्देश देने से पहले, एक समिति नियुक्त कर सकती है।