याचिकाकर्ता ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि पटना उच्च न्यायालय में उसके द्वारा दायर एक अग्रिम जमानत याचिक सुनने के लिए पटना उच्च न्यायालय को निर्देशित किया जाये।
Supreme Court ने कहा कि जितना बड़ा पद उतनी ही बड़ी व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है।
अनिल कुमार सिंह एवं अन्य बनाम पटना मामले के संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार हैः-
याचिकाकर्ता ने सामान्य नगर पालिका चुनाव के लिए अपने नामांकन पत्र में कथित तौर पर गलत जानकारी दी थी। आरोपों की जांच राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई और पाया गया किय यह बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 447 का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता के खिलाफ बिहार नगर पालिका अधिनियम, 2007 की धारा 447 और धारा 420/34, आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। साथ ही साथ याची का चुनाव भी शून्य घोषित कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता के तर्क –
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता अधिकारियों के साथ सहयोग करने और जांच में शामिल होने के लिए तैयार है, इसलिए हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है।
न्यायालय का निर्णय
माननीय उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील से असहमति जताते हुऐ कहा कि जितना बड़ा पद उतनी ही बड़ी व्यक्ति की जिम्मेदारी होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के उच्च पद पर रहने की वजह मात्र से वह अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है।
उपरोक्त के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया और साथ ही पटना हाईकोर्ट के सामने दायर जमानत अर्जी को भी खारिज कर दिया।
Case Details:-
Title: Anil Kumar Singh & Ors. Versus High Court Of Judicature At Patna
Case No. Writ Petition(S)(Criminal) No(S). 293/2020
Date Of Order: 09.10.2020
Coram: Hon’ble Justice Sanjay Kishan Kaul, Hon’ble Justice Krishna Murari Hon’ble Justice Hrishikesh Roy