गुरुवार (01.10.2020) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने जाली नोटों के आरोप के आरोपी की दायर अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर सकता है।
मामले के संक्षिप्त तथ्य –
आरोपी श्री समीर खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 489-ए, 489-बी, 489-सी, 489-डी के तहत आरोप लगाया गया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अभियुक्त के वकील श्री हरि नाथ चौबे द्वारा अग्रिम जमानत याचिका पर बहस की गयी थी।
न्यायालय के तर्क और निर्णय
माननीय न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने मामले की सुनवाई की, जिसमें कोर्ट द्वारा कहा गया कि आरोपी पर लगाया गया कथित अपराध एक ऐसा अपराध है जो देश की अर्थव्यवस्था को बाधित कर सकता है। उन्होंने यह भी देखा कि चूंकि आरोपी ने समाज के खिलाफ अपराध किया है, इसलिए उसे अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती।
तदनुसार, अभियुक्त द्वारा दायर अग्रिम जमानत के लिए आवेदन को न्यायालय ने खारिज कर दिया।
Title: Criminal Misc Anticipatory Bail Application U/S 438 Cr.P.C. No. – 6413 Of 2020
Case No.: Sameer Khan vs State of U.P.
Date of Order: 201.10.2020
Coram: Hon’ble Mr. Justice Rajeev Misra
Advocates: Hari Nath Chaubey (Petitioner Counsel) and GA