Allahabad High Court में स्थाई न्यायमूर्तियों की संख्या बड़ा दी गई है। हॉल ही में केंद्रीय कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद द्वारा इसके संबंध में एक आदेश जारी कर दिया गया है।
इस आदेश के मुताबिक Allahabad High Court में स्थायी न्यायमूर्तियों के पद की संख्या 76 से बढ़ाकर 120 कर दी गई है ।
इसका अर्थ यह है कि हाइकोर्ट में अब कुल स्वीकृत 160 पदों में से 120 न्यायमूर्ति स्थाई होंगे और 40 अतिरिक्त न्यायमूर्ति के पद रहेंगे। इससे पहले यह संख्या स्थायी के लिए 76 थी और अतिरिक्त के लिए 84।
इससे पूर्व Allahabad High Court के मुख्य न्यायमूर्ति श्री गोविंद माथुर ने 20 मई 2020 को केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री से स्थाई न्यायाधीशों की पद संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया था। उक्त पत्र का संज्ञान लेेते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 28 सितंबर 2020 को मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थायी न्यायमूर्तियों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है।
श्री रविशंकर प्रसाद ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि वर्ष 2014 में कुल पद की संख्या 160 से बढ़ाकर 200 (75-25 के अनुपात) करने का प्रस्ताव था, परन्तु उस समय तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होने की बात कही गई जिसकी वजह से इसे अमल में नहीं लाया जा सका था।
अब मुख्य न्यायमूर्ति श्री गोविंद माथुर के पत्र पर भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से जजों के 75-25 के अनुपात को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
यहॉ बता दे कि वर्तमान में इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्वीकृत 160 न्यायमूर्तियों में से वर्तमान में 100 न्यायमूर्ति कार्यरत हैं। इनमें से दिसंबर 2020 तक चार न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
यदि सभी को स्थायी कर दिया जाए तो भी 20 स्थायी और 40 अतिरिक्त न्यायमूर्ति के पद खाली रहेंगे। हालांकि हॉल ही में मुख्य न्यायाधीश की कोलेजियम ने 31 अधिवक्ताओं की न्यायमूर्तियों के रूप में नियुक्ति की संस्तुति की है। इस पर अभी सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम से निर्णय नहीं हुआ है।इसके अलावा जिला जज रैंक के 11 न्यायिक अधिकारियों की भी संस्तुति की गई है। कुल 42 नाम न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्ति की प्रक्रिया में विचाराधीन हैं।
यहॉ यह उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में लगभग 10 लाख मुक़दमे लंबित हैं। जिसके शीघ्र निस्तारण के लिए न्यामूर्तियों की संख्या में बढ़ोत्तरी की आवश्यकता है।