इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता द्वारा एक जनहित याचिका दायर कर काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग पर सावन में गन्ने का रस चढ़ाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दिया कि धार्मिक याचिका को जनहित याचिका नहीं कह सकते। साथ ही याची पर इस प्रकार की याचिका दायर करने को लेकर नाराजगी जताई तथा कहा कि कोर्ट एक लाख रुपए का जुर्माना लगाएगी।
यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वाराणसी की निजी फर्म महादेव इंटरप्राइजेज एंड एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याची का कहना था कि सावन महीने में काशी विश्वनाथ धाम का धार्मिक महत्त्व विश्व विख्यात है। आस्था के केंद्र काशी विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग पर भक्त अपनी अपनी मान्यताओं के अनुसार गंगा जल और दूध से अभिषेक करते हैं। इसी कड़ी में याची ने गन्ने के रस से ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने की अनुमति मांगी थी।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने को कहा। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक याचिका को जनहित याचिका नहीं कहा जा सकता। याचिका के अधिवक्ता ने याचिका को वापस लेने की गुजारिश की तथा जुर्माना माफ़ करने को कहा। कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।