हाई कोर्ट ने चिटफंड घोटाले में सीबीआई से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मंगलवार को चिटफंड घोटाला में निवेशकों के डूबी राशि के मामले में सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा है कि चिटफंड घोटाले में शामिल कंपनियों की कितनी प्रॉपर्टी अटैच की गई, भुक्तभोगी लोगों को उनका पैसा वापसी के लिए क्या रास्ता हो सकता है।

कोर्ट ने आज चिटफंड घोटाला में पैसा की वापसी को लेकर नन बैंकिंग अभिरक्षा निवेशक सुरक्षा समिति सहित अन्य दायर याचिकाओं की सुनवाई की। इससे पहले मामले में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि सरकार ने झारखंड के जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय स्थापनाओं में) अधिनियम 2011 बनाया है। इसके हिसाब से चिटफंड से प्रभावित लोगों को संबंधित अथॉरिटी के पास आवेदन देना होगा। यह अथॉरिटी प्रभावित लोगों की शिकायत का निवारण करेगी।

READ ALSO  दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में वकील के मुंशी की गोली मारकर हत्या

कोर्ट ने सरकार की इस जवाब पर असंतुष्टि जताते हुए कहा कि यह एक व्यक्ति के पैसे वापसी की बात नहीं हो रही है, बल्कि चिटफंड घोटाले से प्रभावित सैकड़ों लोगों के पैसे की वापसी की बात है। ऐसे में वेस्ट बंगाल, उड़ीसा की तर्ज पर एक कमीशन बनाकर कार्पस फंड बनाना होगा। इस फंड के लिए सरकार को पैसा मुहैया कराना होगा, जिससे चिटफंड के प्रभावित लोगों को पैसा वापसी का रास्ता बन सके। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई सात जुलाई निर्धारित की है।

Video thumbnail

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि चिटफंड घोटाला में शामिल कई कंपनी के संचालकों की ईडी और सीबीआई ने करोड़ की संपत्ति सीज की है। चिटफंड घोटाले के सीज पैसे ईडी और सीबीआई ने बैंकों में रखे हैं। याचिका में कहा गया है कि कई राज्यों में एक कमेटी बनाकर चिटफंड के शिकार लोगों के केस को डिस्पोजल किया जा रहा है और उन्हें उनके डूबे पैसे वापस दिलाए जा रहे हैं। झारखंड में भी कमेटी बनाकर निवेशकों के डूबे पैसे को वापस दिलाया जाए।

READ ALSO  तलाक की याचिका सिर्फ इसलिए खारिज नहीं की जा सकती क्योंकि शादी की सटीक तारीख़ का उल्लेख नहीं किया गया है: हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles