इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ की एक मस्जिद के बाहर ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ करने के आरोप में गिरफ्तार दो व्यक्तियों को जमानत दे दी है। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि इनका उद्देश्य धार्मिक आधार पर वैमनस्य और घृणा फैलाना था।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह की एकल पीठ ने जारी किया, जिसमें अभियुक्त सचिन सिरोही और संजय समरवाल की जमानत याचिका को स्वीकार किया गया।
अभियोजन के अनुसार, सचिन सिरोही और संजय समरवाल ने अन्य लोगों के साथ मिलकर एक अन्य धर्मस्थल — जो मुस्लिम समुदाय से संबंधित है — के पास जबरन ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ किया। यह आरोप लगाया गया कि इस कृत्य का उद्देश्य धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ना और धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाना था।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी वकील और शिकायतकर्ता पक्ष के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्तों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए।
अभियुक्तों की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि दोनों निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक द्वेष के कारण झूठा फंसाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और पूरा मामला दुर्भावना पर आधारित है।
न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने अपने आदेश में कहा:
“विवादित मामले में, पक्षकारों के अधिवक्ताओं की दलीलों, आरोपों की प्रकृति, अभियुक्तों की निरुद्धि की अवधि तथा मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, बिना मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए, जमानत का मामला बनता है। अतः जमानत याचिका स्वीकार की जाती है।”
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल जमानत याचिका पर विचार करते हुए पारित किया गया है और इसका मुकदमे के अंतिम परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।