GRAP दिशानिर्देशों से वर्क फ्रॉम होम का व्यक्तिगत अधिकार नहीं बनता: दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से वित्तपोषित एक संस्था में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कार्यालय परिसर में खराब वायु गुणवत्ता का हवाला देते हुए वर्क फ्रॉम होम की अनुमति मांगी थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) से किसी व्यक्तिगत कर्मचारी को वर्क फ्रॉम होम का प्रवर्तनीय अधिकार प्राप्त नहीं होता।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने 9 दिसंबर को पारित आदेश में कहा कि GRAP दिशानिर्देशों का अवलोकन करने से यह स्पष्ट है कि वे केंद्र सरकार पर वर्क फ्रॉम होम की अनुमति देने का अनिवार्य नहीं, बल्कि विवेकाधीन दायित्व डालते हैं। इसलिए याचिकाकर्ता का यह दावा “गलत आधार” पर किया गया है कि वह GRAP के तहत वर्क फ्रॉम होम का हकदार है।

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अदालत ने कहा,
“GRAP के क्रियान्वयन के पीछे का उद्देश्य किसी व्यक्तिगत कर्मचारी के पक्ष में कोई प्रवर्तनीय अधिकार सृजित करना नहीं है। यह संस्थानों, प्राधिकरणों और नागरिकों पर यह दायित्व डालता है कि वे यथासंभव और व्यवहार्य सीमा तक उसमें निहित प्रदूषण-नियंत्रण उपायों के क्रियान्वयन में सहयोग करें।”

याचिकाकर्ता सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) में ‘Scientist-E’ के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने दावा किया था कि दिल्ली में खतरनाक वायु गुणवत्ता के कारण उन्हें सांस से जुड़ी समस्याएं हैं और डॉक्टर ने उन्हें “धूल और धुएं के संपर्क से बचने” की सलाह दी है। इसके आधार पर उन्होंने तब तक वर्क फ्रॉम होम की अनुमति मांगी, जब तक कि कार्यालय प्रशासन यह प्रमाणित न कर दे कि इनडोर एयर क्वालिटी अनुमेय सीमा में है।

इसके अलावा, याचिका में आयोग फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) द्वारा जारी सभी GRAP आदेशों के कार्यालय परिसर में अनुपालन सुनिश्चित कराने और सक्षम प्राधिकारियों से निरीक्षण कराने के निर्देश भी मांगे गए थे।

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अदालत ने इन मांगों को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि GRAP आदेशों के अनुपालन के नाम पर सेवा शर्तों में बदलाव करने के लिए किसी प्रकार का mandamus जारी करने का कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।

हालांकि, याचिकाकर्ता द्वारा बताई गई चिकित्सकीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यदि उनकी स्वास्थ्य स्थिति ऐसा मांगती है, तो वह अपने नियोक्ता से दिल्ली से बाहर स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि नियोक्ता को ऐसे अनुरोध पर सहानुभूतिपूर्वक और अनुकूल रूप से विचार करने का प्रयास करना चाहिए।

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यह फैसला स्पष्ट करता है कि GRAP जैसे प्रदूषण-नियंत्रण उपायों का उद्देश्य संस्थागत स्तर पर अनुपालन सुनिश्चित करना है, न कि व्यक्तिगत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का कानूनी अधिकार प्रदान करना।

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