एएनआई कॉपीराइट विवाद के बीच सरकार ने दूरदर्शन, आकाशवाणी और पीआईबी की सामग्री क्रिएटर्स के लिए मुफ्त में की उपलब्ध

एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) और यूट्यूब क्रिएटर्स के बीच कॉपीराइट विवाद के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए दूरदर्शन, आकाशवाणी (Akashvani), और प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) जैसी प्रमुख सरकारी मीडिया एजेंसियों की सामग्री डिजिटल क्रिएटर्स के लिए मुफ्त या बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध करा दी है।

प्रसार भारती, जो दूरदर्शन और आकाशवाणी का संचालन करती है, ने स्पष्ट किया कि उसके पास मौजूद ऐतिहासिक वीडियो, विश्वसनीय डेटा, डॉक्युमेंट्री, शॉर्ट्स, और एक्सप्लेनर अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उपयोग के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं और ये सामग्री कॉपीराइट से मुक्त है।

प्रसार भारती के डिजिटल पोर्टल PBShabd को एक विश्वसनीय और स्वतंत्र स्रोत के रूप में प्रचारित किया गया है, जहां 24×7 नि:शुल्क समाचार क्लिप, ऑडियो, लेख, और दृश्य सामग्रियाँ उपलब्ध हैं। पीआईबी ने भी इस संदेश को साझा करते हुए सामग्री के कॉपीराइट-मुक्त उपयोग की पुष्टि की है।

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आकाशवाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर घोषणा करते हुए कहा कि 50 श्रेणियों और 15 भाषाओं में फैली डॉक्युमेंट्री, शॉर्ट्स, और एक्सप्लेनर्स जैसी सामग्री अब निशुल्क उपलब्ध है। यह घोषणा डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए राहतभरी मानी जा रही है।

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यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब एएनआई ने कई यूट्यूब क्रिएटर्स पर कॉपीराइट स्ट्राइक लगाए हैं। चर्चित कंटेंट क्रिएटर मोहक मंगल ने हाल ही में आरोप लगाया कि उन्होंने कोलकाता बलात्कार मामले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से संबंधित वीडियो में एएनआई की फुटेज के 9 और 11 सेकंड के क्लिप का उपयोग किया था, जिसके चलते उनके चैनल पर कॉपीराइट स्ट्राइक लगाए गए और एएनआई ने स्ट्राइक हटाने के लिए लाइसेंसिंग फीस या जुर्माना मांगा।

अन्य यूट्यूबर्स जैसे रजत पवार ने भी एएनआई पर आरोप लगाया कि उनके वीडियो पर कॉपीराइट स्ट्राइक लगाने के बाद एएनआई ने ₹18 लाख सालाना की लाइसेंसिंग डील या जुर्माना भुगतान की मांग की, अन्यथा चैनल बंद करने की चेतावनी दी गई।

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यह मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है, जहां एएनआई ने मोहक मंगल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। गुरुवार को अदालत ने मंगल को निर्देश दिया कि वे अपने वीडियो से उन हिस्सों को हटाएं जिन्हें एएनआई ने मानहानिकर बताया है और आरोप लगाया कि वे संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए गलत जानकारी फैला रहे हैं।

सरकारी एजेंसियों की इस पहल को क्रिएटर्स और डिजिटल पत्रकारों द्वारा सकारात्मक कदम माना जा रहा है, जिससे वे बिना कॉपीराइट विवाद के सार्वजनिक सूचना और समाचारों तक पहुंच बना सकेंगे। इस कदम से सरकारी मीडिया संस्थानों ने खुद को पारदर्शी, सुलभ और सहयोगी सूचना स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया है।

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