सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ईवीएम मशीन (EVM) पर आपत्ति जाहिर करने वाली याचिका पर सुनवाई से साफ मना कर दिया । इस दाखिल याचिका में चुनाव आयोग (Election Commission) को निर्देश देने की मांग की गई है कि आने वाले चुनावों में ईवीएम का प्रयोग न हो और ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की बात कही गई है।
कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोवड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एडवोकेट सीआर जया सुकिन से कहा ‘इसमे मौलिक अधिकारों का सवाल क्या है। इसका उलंघन कैसे होता है’ अधिवक्ता जया सुकिन ने कहा वोट देने का अधिकार मौलिक अधिकार है।
जिसका पीठ ने जवाब देते हुए कहा “कब से वोटिंग मौलिक अधिकार बना ?इस याचिका में कहा गया है कि देश भर में EVM की जगह पारंपरिक मत पत्रों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। मत पत्रों के जरिये वोटिंग अधिक पारदर्शी और विश्वासी प्रक्रिया है। लोकतंत्र को बचाने के लिए हमे चुनावी प्रक्रिया में मत पत्रों की वापसी करनी होगी।
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याचिका में इस बात का उल्लेख किया गया है कि EVM ने भारत मे मत पत्रों की जगह ले ली है। जबकि,फ्रांस,इंग्लैंड,जमर्नी,नीदरलैंड, और अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों ने ईवीएम के प्रयोग पर बैन लगा दिया है। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 324 का हवाला दिया गया है जिसमे कहा गया है की चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की प्रक्रिया स्पष्ट,पारदर्शी, और स्वतंत्र होनी चाहिए।
याचिका में जिक्र किया गया है कि ईवीएम के निर्माण के दौरान छेड़छाड़ किया जा सकता है। और मत पत्र के जरिये मतदान करने में किसी हैकर या मालवेयर की आवश्यकता नही। दुनिया मे कोई भी मशीन अचूक नही है ईवीएम को लेकर बहुत सारे खतरे हैं। ईवीएम को सरलता पूर्वक हैक किया जा सकता है। और किसी भी मतदाता की प्रोफाइल को आसानी से देखा जा सकता है।