दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए यूट्यूब चैनलों और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी के नाम, छवि, आवाज़ और समानता का बिना अनुमति उपयोग करने से रोक दिया।
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने चौधरी की याचिका पर अंतरिम राहत दी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सोशल मीडिया पर भ्रामक और एआई-जनित (AI-generated) वीडियो प्रसारित किए जा रहे हैं, जिनमें चौधरी से झूठे बयान जोड़ दिए गए हैं।
“इंजंक्शन (निषेधाज्ञा) दिया जाता है। हम इसे नाम सुधीर चौधरी, छवि, समानता और आवाज़ पर देंगे,” न्यायमूर्ति अरोड़ा ने कहा।

चौधरी ने अदालत को बताया कि कई डीपफेक वीडियो और हेरफेर किए गए कंटेंट यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित किए जा रहे हैं, जिससे जनता को भ्रमित किया जा रहा है और उनके व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
उनके वकील ने अदालत को सूचित किया कि मूल याचिका में दिए गए लिंक के अलावा अतिरिक्त लिंक भी 20 अक्टूबर तक हलफनामे के साथ ई-फाइल किए जाएंगे और अनुरोध किया कि निषेधाज्ञा को इन पर भी लागू किया जाए।
अदालत ने चौधरी को निर्देश दिया कि वे आदेश की प्रति सभी संबंधित यूट्यूब चैनलों को, जिन्हें उन्होंने प्रतिवादी बनाया है, भेजें।
न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादियों को 48 घंटे के भीतर उल्लंघनकारी लिंक हटाने होंगे, और यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो गूगल एलएलसी (प्रतिवादी संख्या 2) को उन्हें हटाना होगा।
इसके अलावा अदालत ने चौधरी को यह अनुमति दी कि वे गूगल एलएलसी और मेटा प्लेटफॉर्म्स को ऐसे किसी भी समान कंटेंट की जानकारी दे सकते हैं, और उन्हें भी 48 घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होगा।
यह वाद मेटा प्लेटफॉर्म्स, गूगल एलएलसी और कई ज्ञात-अज्ञात संस्थाओं के खिलाफ दायर किया गया है। इसमें चौधरी ने अपने नाम और व्यक्तित्व के अनधिकृत एआई उपयोग से सुरक्षा की मांग की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल के महीनों में सार्वजनिक हस्तियों के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए कई ऐसे ही आदेश पारित किए हैं, जिनमें ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, तेलुगु अभिनेता नागार्जुन, बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिनेता अभिषेक बच्चन, और निर्माता-निर्देशक करण जौहर शामिल हैं।