दिल्ली हाईकोर्ट ने DUSU उम्मीदवारों को चेताया: चुनाव प्रचार में धन और बाहुबल का प्रयोग न करें

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव में 18 सितम्बर को उतरने वाले उम्मीदवारों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वे प्रचार नियमों का पालन करें और जेसीबी, लग्ज़री कारों जैसी भव्य दिखावे वाली गतिविधियों से बचें। अदालत ने स्पष्ट किया कि छात्र राजनीति में “धन और बाहुबल” की कोई जगह नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा, “वे कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते। आखिरकार वे जिम्मेदार नागरिक हैं… छात्र चुनावों में धन और बाहुबल का प्रवाह होना सबसे अनुचित है।”

यह टिप्पणियाँ अधिवक्ता प्रशांत मांचंदा की याचिका पर सुनवाई के दौरान आईं। उन्होंने अदालत के सामने तस्वीरें पेश कीं जिनमें दिखाया गया कि उम्मीदवार लाइंगडोह समिति की सिफारिशों और 2025-26 DUSU आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं। याचिका में आरोप लगाया गया कि खर्च की सीमा भले ही ₹5,000 तय हो, लेकिन उम्मीदवार करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं। rallies में ट्रैक्टरों और जेसीबी से फूल बरसाए जा रहे हैं और उम्मीदवारों के साथ लगभग 200 बाउंसर मौजूद रहते हैं।

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पीठ ने आदेश में कहा कि उम्मीदवार ऐसे कृत्यों से बचें, अन्यथा इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा। “हम उम्मीद करते हैं कि चुनाव समाप्त होने तक कोई उल्लंघन नहीं होगा,” अदालत ने कहा।

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साथ ही अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली पुलिस को भी फटकार लगाई कि उन्होंने पहले दिए गए आश्वासनों के बावजूद ठोस कदम नहीं उठाए। अदालत ने कहा, “क्या आप अपनी जिम्मेदारी से बच सकते हैं? क्या आपको कोर्ट के आदेशों की जरूरत है?” पीठ ने यह भी रेखांकित किया कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाव अधिनियम, 1984 का गंभीर उल्लंघन होने के बावजूद उसे लागू नहीं किया जा रहा।

दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि उसने उम्मीदवारों और समर्थकों पर खतरनाक ड्राइविंग के लिए चालान काटे हैं, 23 पुलिसकर्मी अहम चौराहों पर तैनात किए हैं और निगरानी के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया है। पुलिस ने कहा कि उम्मीदवारों के सोशल मीडिया खातों पर भी नजर रखी जा रही है और विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ मिलकर गश्त तेज कर दी गई है।

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दिल्ली विश्वविद्यालय ने अदालत को सूचित किया कि उसने उल्लंघन करने वालों को कारण बताओ नोटिस और चेतावनी पत्र जारी किए हैं।

अदालत ने पुलिस और विश्वविद्यालय दोनों को निर्देश दिया कि वे 16 सितम्बर तक कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करें, जब अगली सुनवाई होगी।

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