नाबालिग से बलात्कार के आरोपों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारी प्रेमोदय खाखा की याचिका खारिज की, पत्नी व बच्चों पर भी आरोप तय

 दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की से बार-बार बलात्कार के आरोपों में निलंबित सरकारी अधिकारी प्रेमोदय खाखा के खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने उनकी पत्नी सीमा रानी और दोनों बच्चों के खिलाफ भी आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है।

न्यायमूर्ति स्वरना कांता शर्मा ने 15 जुलाई को सुनाया गया फैसला 28 जुलाई को सार्वजनिक किया, जिसमें उन्होंने कहा कि निचली अदालत द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई कानूनी खामी या दुर्भावना नहीं है।

प्रेमोदय खाखा के खिलाफ बलात्कार और यौन शोषण के गंभीर आरोप

प्रेमोदय खाखा पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 376(2)(f), 376(3), 323 और 354 तथा पॉक्सो एक्ट की धाराओं 6 और 8 के तहत आरोप तय किए गए हैं। यह धाराएं किसी भरोसेमंद व्यक्ति द्वारा यौन शोषण, 16 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार, चोट पहुंचाने और शील भंग करने से संबंधित हैं।

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आरोप है कि प्रेमोदय ने नवंबर 2020 से जनवरी 2021 के बीच अपने परिचित की नाबालिग बेटी के साथ कई बार बलात्कार किया। उन्हें अगस्त 2023 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में हैं।

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नसबंदी की दलील को कोर्ट ने किया खारिज

प्रेमोदय ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि उन्होंने 2005 में नसबंदी कराई थी, इसलिए वह लड़की को गर्भवती नहीं कर सकते थे। हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि “नसबंदी कोई अचूक प्रक्रिया नहीं है” और “ऐसे कई चिकित्सीय मामले सामने आए हैं जहां नसबंदी के बाद भी गर्भधारण हुआ है।”

कोर्ट ने माना कि यह दलील बलात्कार या गर्भधारण की संभावना को समाप्त नहीं करती।

पत्नी और बच्चों के खिलाफ भी आरोप कायम

कोर्ट ने प्रेमोदय की पत्नी सीमा रानी के खिलाफ भी आरोप बरकरार रखे हैं, जिन पर लड़की का गर्भपात कराने के लिए दवा देने और सबूत मिटाने के आरोप हैं। वह भी न्यायिक हिरासत में हैं।

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इसके अलावा, कोर्ट ने सीमा रानी और उनके दोनों बच्चों — हर्ष प्रतीक और प्रतीक्षा — के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 21 के तहत आरोप बरकरार रखे, जिसमें अपराध की जानकारी होने के बावजूद सूचना न देने का प्रावधान है। दोनों बच्चों को जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी है।

कोर्ट ने कहा, “रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री, पीड़िता के स्पष्ट बयानों और परिस्थितियों से यह स्पष्ट होता है कि आरोपी व्यक्तियों को अपराध की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी।”

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अब चलेगा मुकदमा

हाईकोर्ट द्वारा सभी आरोपियों की याचिका खारिज करने के बाद मामला अब ट्रायल के लिए आगे बढ़ेगा। यह मामला भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है, जो नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए कठोर सजा का प्रावधान करता है।

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