दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को संगीतकार ए. आर. रहमान और फिल्म पोन्नियिन सेलवन 2 के निर्माताओं के खिलाफ कॉपीराइट उल्लंघन के मामले में एकल न्यायाधीश द्वारा पारित अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी। यह आदेश कथित रूप से दिवंगत ध्रुपद गायकों — उस्ताद एन. फैयाज़ुद्दीन डागर और उस्ताद ज़हीरुद्दीन डागर — की रचना शिव स्तुति की नकल को लेकर जारी किया गया था।
न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर और अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने रहमान और निर्माण कंपनियों — मद्रास टॉकीज़ और लाइका प्रोडक्शंस — की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें ₹2 करोड़ की राशि हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में दस दिन के भीतर जमा कराने का निर्देश दिया, जैसा कि पहले एकल न्यायाधीश ने आदेशित किया था।
25 अप्रैल को जारी अंतरिम आदेश में अदालत ने निर्देश दिया था कि फिल्म के सभी ओटीटी और ऑनलाइन संस्करणों में एक स्लाइड जोड़कर जूनियर डागर ब्रदर्स को रचना का श्रेय दिया जाए। खंडपीठ ने इस निर्देश पर भी रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 23 मई को होगी।

यह याचिका उस्ताद फैयाज़ वासिफुद्दीन डागर — उस्ताद फैयाज़ुद्दीन डागर के पुत्र और उस्ताद ज़हीरुद्दीन डागर के भतीजे — द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि शिव स्तुति पर उनका कॉपीराइट है और फिल्म के गीत वीर राजा वीर में उनकी मूल रचना का उल्लंघन किया गया है।
एकल न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि एक श्रोता के दृष्टिकोण से रहमान का गीत न केवल शिव स्तुति से प्रेरित है, बल्कि वह “स्वरों, भावनाओं और श्रवण प्रभाव में पूरी तरह समान” है। उन्होंने यह भी माना कि गीत के बोल और अन्य तत्वों में बदलाव के बावजूद मूल संगीत रचना समान है।
अदालत ने यह भी कहा था कि वादी के पक्ष में प्रथम दृष्टया मामला बनता है और यदि अंतरिम राहत न दी गई तो दिवंगत रचनाकारों के रचनात्मक और नैतिक अधिकारों को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
रहमान के वकील ने तर्क दिया कि शिव स्तुति पारंपरिक ध्रुपद शैली पर आधारित है जो सार्वजनिक डोमेन में है, और इसलिए इसकी प्रस्तुति और रचना को कॉपीराइट सुरक्षा नहीं दी जा सकती क्योंकि यह मूल नहीं है।
हालांकि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राहत प्रदान की है, लेकिन ₹2 करोड़ की राशि जमा कराने के निर्देश को बरकरार रखा गया है और अंतिम निर्णय तक राशि एफडी में रखी जाएगी।