दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी को हवाईअड्डा क्षेत्र को ठोस कचरा प्रबंधन टेंडर से बाहर रखने का निर्देश दिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि नगर निगम दिल्ली (एमसीडी) अपने नजफगढ़ क्षेत्र में प्रस्तावित मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) टेंडर में हवाईअड्डा क्षेत्र को शामिल नहीं कर सकता। अदालत ने कहा कि दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ही इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (आईजीआईए) पर सभी सेवाओं, जिनमें ठोस कचरा प्रबंधन भी शामिल है, की “एकमात्र प्राधिकृत संस्था” है।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सोमवार को जारी फैसले में कहा कि डायल आईजीआई हवाईअड्डे के पूरे क्षेत्र— जिसमें टर्मिनल, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, इन-फ्लाइट कैटरिंग सुविधाएं और एरोसिटी शामिल हैं— का “विशेष संरक्षक” है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि एरोसिटी आईजीआईए के वाणिज्यिक क्षेत्र का हिस्सा है और इस पर सेवाएं प्रदान करने का अधिकार भी डायल के पास है।

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यह फैसला डायल की उस याचिका पर आया जिसमें उसने एमसीडी के नवंबर 2024 के टेंडर को चुनौती दी थी। इस टेंडर में एमसीडी ने नजफगढ़ के “प्रोजेक्ट एरिया” में हवाईअड्डा क्षेत्र, जिसमें एरोसिटी भी शामिल था, को जोड़ दिया था।

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वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नैयर ने डायल की ओर से दलील दी कि 4,799 एकड़ में फैला हवाईअड्डा क्षेत्र 2006 में एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के साथ किए गए ऑपरेशन, मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट एग्रीमेंट (OMDA) के तहत उसे लीज़ पर दिया गया है। इस समझौते के तहत डायल को सभी सेवाएं संचालित करने का विशेष अधिकार प्राप्त है। इसके बावजूद, एमसीडी ने बार-बार चेतावनी के बाद भी अवैध रूप से हवाईअड्डा क्षेत्र को टेंडर में शामिल कर लिया।

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वहीं, एमसीडी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन और मालविका त्रिवेदी ने दलील दी कि ठोस कचरा प्रबंधन नगर निगम का वैधानिक कार्य है और दिल्ली नगर निगम अधिनियम (DMC Act) के तहत इसका विशेषाधिकार केवल एमसीडी को है। उनका कहना था कि ओएमडीए महज एक निजी समझौता है और यह एमसीडी की संवैधानिक शक्तियों को खत्म नहीं कर सकता।

अदालत ने एमसीडी के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि हवाईअड्डा क्षेत्र को टेंडर के दायरे में शामिल करना कानूनी रूप से संभव नहीं है। उसने 12 दिसंबर 2024 के अपने अंतरिम आदेश को अंतिम रूप दिया, जिसमें एमसीडी को हवाईअड्डा क्षेत्र से जुड़े टेंडर की प्रक्रिया आगे बढ़ाने से रोका गया था।

अदालत ने कहा:
“एएआई अधिनियम की धारा 12 और 12ए से कोई संदेह नहीं रहता कि डायल हवाईअड्डा क्षेत्र का विशेष संरक्षक है… डायल 2016 नियमों के नियम 4(7) तथा ओएमडीए के तहत हवाईअड्डे पर ठोस कचरा प्रबंधन का कार्य कर रहा है।”

अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि जब तक डीएमसी अधिनियम में कोई विशेष प्रावधान नहीं है जो हवाईअड्डा क्षेत्र में कचरा प्रबंधन का विशेषाधिकार एमसीडी को देता हो, तब तक एमसीडी का टेंडर हवाईअड्डा क्षेत्र तक नहीं बढ़ाया जा सकता।

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