दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें वकीलों की भर्ती के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (पोस्ट ग्रेजुएट) यानी CLAT-PG के अंकों को आधार बनाया गया था।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने अधिवक्ता शन्नू बहगल की याचिका स्वीकार करते हुए कहा, “याचिका स्वीकार की जाती है। परिणामस्वरूप, अधिसूचना में दी गई भर्ती प्रक्रिया निरस्त की जाती है।” विस्तृत फैसला बाद में जारी किया जाएगा।
अदालत ने पहले ही 18 सितम्बर को इस अधिसूचना पर रोक लगाते हुए कहा था कि भर्ती प्रक्रिया के पीछे कोई “तार्किक आधार” दिखाई नहीं देता। अदालत ने माना कि CLAT-PG परीक्षा का उद्देश्य उच्च शिक्षा (एलएलएम) के लिए योग्यता आंकना है, न कि सरकारी रोजगार तय करना।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अधिसूचना “मनमानी और अनुचित” है क्योंकि इससे उन सभी विधि स्नातकों और प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ताओं को बाहर कर दिया गया, जो पूर्ण रूप से योग्य होते हुए भी CLAT-PG 2022 या उसके बाद की परीक्षा में शामिल नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि CLAT-PG अंक केवल एलएलएम में दाखिले के लिए प्रासंगिक हैं, न कि पेशेवर क्षमता या सार्वजनिक सेवा के आकलन के लिए। अधिसूचना के अनुसार 44 “यंग प्रोफेशनल्स (लीगल)” की भर्ती की जानी थी।
एनएचएआई की ओर से कहा गया कि CLAT-PG स्कोर उम्मीदवार की “कानूनी समझ” मापने का उचित पैमाना है और चयन में अनुभव को भी महत्व दिया गया था।
हाईकोर्ट ने एनएचएआई की दलील खारिज करते हुए अधिसूचना को निरस्त कर दिया और स्पष्ट कर दिया कि CLAT-PG स्कोर को सरकारी भर्ती का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता।