दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के उस निर्देश को निरस्त कर दिया है, जिसमें बिहार ओलंपिक संघ की गतिविधियों की निगरानी के लिए एक तदर्थ पैनल के गठन को अनिवार्य बनाया गया था। न्यायालय का यह निर्णय सोमवार को आया, जब न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने बिहार ओलंपिक संघ द्वारा दायर एक याचिका का जवाब दिया, जिसमें IOA के हस्तक्षेप को चुनौती दी गई थी।
IOA ने इससे पहले नवंबर 2024 में बिहार निकाय के कामकाज और चुनावी प्रक्रियाओं के बारे में विभिन्न शिकायतों की जांच के लिए एक एकल सदस्यीय तथ्य-खोज पैनल नियुक्त किया था। इसके बाद 1 जनवरी, 2025 को IOA अध्यक्ष ने बिहार ओलंपिक संघ के मामलों को अस्थायी रूप से प्रबंधित करने के लिए एक तदर्थ समिति स्थापित करने का आदेश दिया।
बिहार ओलंपिक संघ का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता नेहा सिंह ने तर्क दिया कि तदर्थ समिति का गठन एकतरफा और अवैध दोनों था। सिंह ने तर्क दिया कि नियुक्ति में आईओए के अन्य कार्यकारी सदस्यों के साथ परामर्श शामिल नहीं था और यह आईओए के संविधान के तहत इसके अध्यक्ष को दी गई शक्तियों से अधिक है।
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अदालत ने याचिकाकर्ता के इस आश्वासन को स्वीकार किया कि बिहार ओलंपिक संघ के चुनाव अगले तीन महीनों के भीतर करवाए जाएँगे। न्यायमूर्ति दत्ता ने खेल संगठनों के भीतर लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि उचित परामर्श या सुनवाई के बिना विधिवत निर्वाचित निकाय को बदलने का आईओए का आदेश अस्थिर है।