दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाले के सिलसिले में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के पूर्व प्रमोटर धीरज वधावन को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने वधावन को “बीमार व्यक्ति” के रूप में वर्गीकृत किया, जो जमानत देने के निर्णय को प्रभावित करने वाला कारक था।
धीरज को उनके भाई कपिल वधावन के साथ पिछले साल 19 जुलाई को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के संघ से धोखाधड़ी करने से जुड़ी एक बड़ी वित्तीय साजिश के आरोपों के बाद गिरफ्तार किया गया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वधावन बंधुओं और अन्य सहयोगियों पर इन बैंकों को धोखा देने के लिए बनाई गई आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने कुल 42,871.42 करोड़ रुपये के बड़े ऋण को मंजूरी देने के लिए संघ को हेरफेर और प्रेरित किया। सीबीआई का आरोप है कि इन निधियों का एक बड़ा हिस्सा डीएचएफएल के खातों में जालसाजी और पुनर्भुगतान दायित्वों में बेईमानी से चूक के माध्यम से निकाल लिया गया।