दिल्ली की एक अदालत ने कथित आतंकी गतिविधियों से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन कथित सदस्यों की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा है।
विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने मोहम्मद इलियास, मोहम्मद परवेज अहमद और अब्दुल मुकीत द्वारा दायर आवेदनों पर ईडी को नोटिस जारी किया।
न्यायाधीश ने केंद्रीय जांच एजेंसी को अहमद की याचिका पर 24 अगस्त तक और इलियास और मुकीत द्वारा दायर अन्य दो आवेदनों पर 26 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
आरोपियों ने पिछले सप्ताह अदालत के समक्ष आवेदन दायर कर दावा किया था कि अब उन्हें जांच की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और उन्हें आगे हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
आरोपियों को 22 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वे न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी ने 19 नवंबर, 2022 को उनके खिलाफ अभियोजन शिकायत (संघीय एजेंसी के आरोप पत्र के बराबर) दर्ज की थी।
यह मामला कई वर्षों में 120 करोड़ रुपये की कथित लॉन्ड्रिंग से संबंधित है।
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आतंकी गतिविधियों से कथित संबंधों को लेकर पिछले साल सितंबर में केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था।
ईडी ने कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दंडनीय कथित आतंकी-संबंधी गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मामला दर्ज किया था।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि आरोपी और संगठन के अन्य सदस्य दान, “हवाला”, बैंकिंग चैनलों आदि के माध्यम से धन इकट्ठा करने में शामिल थे, जिसका उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों और विभिन्न अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था।
मनी लॉन्ड्रिंग रोधी एजेंसी ने आरोप लगाया कि उसकी जांच में फर्जी नकद दान और बैंक हस्तांतरण पाया गया। इसमें कहा गया है कि पीएफआई के पदाधिकारियों द्वारा वर्षों से रची गई साजिश के तहत एक गुप्त चैनल के माध्यम से विदेशों से भारत में धन हस्तांतरित किया गया था।