मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह के लिए पहुंचे विभिन्न देशों के शीर्ष न्यायाधीशों और वरिष्ठ जजों का गर्मजोशी से स्वागत किया। विदेशों से आए न्यायिक प्रतिनिधियों ने भारत के न्यायाधीशों के साथ न्यायिक कार्यवाही भी देखी।
भूटान, केन्या, मॉरीशस, श्रीलंका, नेपाल और मलेशिया के मुख्य न्यायाधीशों एवं वरिष्ठ न्यायाधीशों की उपस्थिति ने समारोह को अंतरराष्ट्रीय महत्त्व प्रदान किया।
समारोह में शामिल प्रमुख अतिथियों में भूटान के मुख्य न्यायाधीश ल्योंपो नोरबू त्शेरिंग, केन्या की मुख्य न्यायाधीश मार्था के. कोोमे, मॉरीशस की मुख्य न्यायाधीश रेहाना बीबी मुंगली-गुलबुल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश प्रीति पद्मन सुरसेना शामिल थे। केन्या, नेपाल, श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालयों तथा मलेशिया की फेडरल कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश भी उपस्थित रहे।
अतिथि न्यायाधीशों का स्वागत करते हुए मुख्य न्यायाधीश कांत ने कहा, “वे सुप्रीम कोर्ट में आयोजित संविधान दिवस समारोह की शोभा बढ़ाने आए हैं, जिसमें भारत के माननीय राष्ट्रपति भी अतिथि के रूप में शामिल हो रहे हैं। और यह एक संयोग है कि मैंने भी 24 नवंबर को ही मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।” उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया और बार के सभी सदस्यों की ओर से मैं सभी अतिथियों का स्वागत करता हूं।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत सरकार की ओर से अभिवादन करते हुए कहा, “मैं सभी माननीय लॉर्डशिप्स और लेडीशिप्स का विश्व के महानतम न्यायालयों में से एक—भारत के सुप्रीम कोर्ट—में स्वागत करता हूं।” वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार की ओर से सभी गणमान्य अतिथियों का अभिनंदन किया।
भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था, और उसी की याद में हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस—जिसे राष्ट्रीय विधि दिवस भी कहा जाता है—मनाया जाता है। इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रपति और विभिन्न देशों के न्यायाधीश शामिल हो रहे हैं, जिससे वैश्विक न्यायिक सहभागिता को नए आयाम मिल रहे हैं।




