सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने 15 मई को जस्टिस एमआर शाह के रिटायरमेंट के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में ने उन दिनों का एक दिलचस्प किस्सा साझा किया जब वो वकालत किया करते थे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैं पहली बार 1998 में जस्टिस एमआर शाह से मिला था। मैं उस समय जज नहीं था, लेकिन मैं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल था।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अनुसार, उन्हें और न्यायमूर्ति शाह को गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष एक मामले में एक साथ पेश होना था। हम वहां सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए गए थे। जब मैं कोर्ट पहुँचा तो मुझे अहसास हुआ कि मैं मुंबई में अपना गाउन भूल गया हूं। 2 मिनट बाद कोर्ट बैठने वाली थी और मैं थोड़ा चिंतित था कि मैं कैसे पेश हूँगा।
सीजेआई चंद्रचूड़ के मुताबिक, जस्टिस एमआर शाह ने मेरी समस्या को पहचाना और तुरंत अपनी एक जूनियर महिला वकील को बुलाया, aur उस महिला वकील से अपना गाउन देने को कहा क्योंकि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल यानी सीजेआई को इसे पहनना था। उस दिन मैं उस गाउन में कोर्ट में पेश हुआ, मुझे नहीं पता कि वह गाउन लकी था या नहीं, लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक उस दिन हम केस जीएसट गये।
CJI चंद्रचूड़ ने इस कार्यक्रम में कहा कि बॉब डिलन उनके पसंदीदा गायक हैं। जब बदलाव की बयार चले, तो आपका दिल हमेशा खुश रहे, आपका गाना हमेशा गाया जाए, आप हमेशा जवान रहें,’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने गुनगुनाया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने पसंदीदा पाकिस्तानी कवि उबैदुल्लाह अलीम की कविता भी पढ़ी: ‘आंख से दूर सही, दिल से कहां जाएगा…’ ‘जाने वाले तू हमें याद आएगा’।
न्यायमूर्ति एमआर शाह के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए, CJI चंद्रचूड़ ने उल्लेख किया कि कैसे उनका मजाकिया लहजा सबसे गंभीर परिस्थितियों को भी हल्का कर देता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने एक घटना सुनाई। कहा कि कुछ देर पहले हम साथ में एक बेंच पर बैठे थे। एक वकील ने हमें हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी सौंपी। इसकी छपाई की गुणवत्ता खराब थी, और यह वॉटरमार्क था। मैं आगबबूला हो गया और कहा कि यह सिरदर्द में बदल गया है। इसके जवाब में जस्टिस शाह ने मजाक में कहा, ‘आपके लिए तो सिरदर्द है, लेकिन मेरा क्या… टाइगर बाम से भी मेरा सिरदर्द दूर नहीं हो रहा है…’।
जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक, आप जस्टिस शाह से किसी भी बारे में बात कर सकते हैं और वह इस बारे में पता लगा लेंगे। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी फिल्म की पटकथा या कुछ और कहते हैं, तो आप तुरंत बताना शुरू कर देते हैं। मैंने एक बार पूछा था कि आपके पास फिल्में देखने का समय कब होता है। मुझे बताया गया है कि मैं फिल्में नहीं देख सकता, लेकिन मैं अखबारों में उनकी समीक्षा जरूर पढ़ता हूं।