कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को अदालत परिसर के पास 25 अप्रैल को वकीलों के साथ कथित बदसलूकी के मामले में आठ व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की। अदालत ने सभी प्रतिवादियों को 16 जून तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जब यह मामला अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणानम द्वारा गठित तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ — न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी, न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज — ने यह आदेश दिया। यह निर्देश कोलकाता पुलिस आयुक्त द्वारा दाखिल उस रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया, जो अदालत के 2 मई के निर्देश के तहत सौंपी गई थी।
अदालत ने यह टिप्पणी की कि हालांकि सभी कथित प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता उपस्थित थे, किन्तु किसी ने भी अब तक कोई हलफनामा दाखिल नहीं किया है। पीठ ने यह भी दोहराया कि पुलिस आयुक्त को वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसका ध्यान रखना चाहिए।

यह मामला वरिष्ठ अधिवक्ता बिकाश रंजन भट्टाचार्य सहित कई वकीलों के साथ हुई कथित बदसलूकी से जुड़ा है, जो कलकत्ता हाईकोर्ट परिसर के समीप किरण शंकर रॉय रोड और ओल्ड पोस्ट ऑफिस स्ट्रीट के चौराहे पर हुआ था। अदालत ने CCTV फुटेज को संरक्षित रखने का भी निर्देश दिया है।
2 मई को पीठ ने प्रारंभिक दृष्टिकोण (prima facie) से कहा था कि यह कृत्य न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करता है और न्यायपालिका को कलंकित करने वाला है, जिससे यह आपराधिक अवमानना के दायरे में आता है।
पुलिस आयुक्त को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे इस घटना की जांच करें, जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करें, और यह सुनिश्चित करें कि वकीलों की सुरक्षा बनी रहे तथा भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।