लाइव स्ट्रीमिंग शुरू किए जाने के कुछ महीनों बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग अब संबंधित न्यायाधीश की सहमति पर निर्भर करेगी। सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि “अदालत के न्यायाधीश ही वे अधिकृत अधिकारी होंगे जिन्हें लाइव-स्ट्रीम रिकॉर्डिंग की प्रतियों तक पहुँच की अनुमति देने का अधिकार होगा।”
“बॉम्बे हाईकोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग एवं रिकॉर्डिंग ऑफ कोर्ट प्रोसीडिंग्स नियमावली” के अनुसार, सभी कार्यवाही केवल “न्यायाधीश/न्यायाधीशों की सहमति के अधीन” ही लाइव स्ट्रीम की जाएगी। इसका अर्थ है कि अब प्रत्येक पीठ अपने विवेक से तय करेगी कि उसकी कार्यवाही का प्रसारण किया जाए या नहीं, तथा रिकॉर्डिंग तक किसे पहुँच दी जाए।
यह अधिसूचना उस दिन जारी हुई जब मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने सोशल मीडिया पर वायरल एक मॉर्फ्ड वीडियो पर चिंता जताई, जिसमें उनके कोर्ट में जूता फेंके जाने की झूठी घटना दिखाई गई थी। इस घटना ने न्यायिक कार्यवाही की डिजिटल सामग्री के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस वर्ष जुलाई में पारदर्शिता और सार्वजनिक पहुँच बढ़ाने के उद्देश्य से अपनी पाँच पीठों से कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की थी। कुछ एकल पीठों ने अपनी कार्यवाही का प्रसारण प्रारंभ किया, जबकि अन्य ने इससे परहेज़ किया।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट पिछले वर्ष से अपनी सभी अदालतों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग कर रहा है, जो न्यायपालिका में पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।




