बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई स्थित एक फर्टिलिटी सेंटर को निर्देश दिया है कि वह एक मृत अविवाहित युवक के जमे हुए सीमेन को अगली सुनवाई तक सुरक्षित रखे। यह अंतरिम आदेश युवक की मां द्वारा दायर उस याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने सीमेन के नमूने तक पहुंच की अनुमति मांगी है, ताकि वह भविष्य में सहायक प्रजनन तकनीक (Assisted Reproduction) के माध्यम से परिवार की वंशबेलि को आगे बढ़ा सकें।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष पिताले ने 25 जून को पारित किया। याचिका में कहा गया कि फर्टिलिटी क्लिनिक ने सीमेन को गुजरात स्थित एक IVF सेंटर में स्थानांतरित करने की मां की मांग अस्वीकार कर दी थी, क्योंकि मृतक युवक ने पूर्व में एक सहमति पत्र भरकर यह निर्देश दिया था कि उसकी मृत्यु के बाद सीमेन नष्ट कर दिया जाए।
युवक कैंसर के इलाज के तहत कीमोथेरेपी ले रहा था और उसी दौरान उसने एहतियातन सीमेन फ्रीज करवाया था। उसकी मृत्यु फरवरी 2025 में हो गई थी।

न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह याचिका सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 (ART अधिनियम) के तहत महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्न उठाती है, विशेष रूप से मृत्यु के बाद जैविक सामग्री के संरक्षण और उपयोग को लेकर। कोर्ट ने कहा, “यदि सुनवाई लंबित रहने के दौरान सीमेन नष्ट कर दिया गया, तो याचिका निरर्थक हो जाएगी।”
कोर्ट के आदेश में कहा गया: “अंतरिम आदेश के रूप में, फर्टिलिटी सेंटर को निर्देशित किया जाता है कि वह मृतक का सीमेन नमूना सुरक्षित रखे और उसका उचित भंडारण सुनिश्चित करे।”
मां ने अपनी याचिका में कहा कि उनके बेटे ने यह सहमति पत्र परिवार से चर्चा किए बिना भरा था और अब वह अपने बेटे की विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सीमेन का उपयोग करना चाहती हैं।
वहीं, फर्टिलिटी सेंटर ने कोर्ट में कहा कि मां को ART अधिनियम के तहत न्यायिक अनुमति प्राप्त करनी होगी, क्योंकि यह कानून सहायक प्रजनन तकनीकों की नैतिक निगरानी और सभी संबंधित पक्षों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करता है।
इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को निर्धारित की गई है।