बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (CSTPS) को उन 85 परियोजना-प्रभावित व्यक्तियों (PAPs) की याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिन्होंने वर्षों से ट्रेनी के रूप में काम करवाए जाने के खिलाफ नियमित नियुक्ति और सेवा लाभों की मांग की है।
नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की खंडपीठ ने 21 नवंबर को नोटिस जारी करते हुए प्रतिवादियों से जवाब मांगा। याचिका अधिवक्ता अशिष फुले के माध्यम से दायर की गई है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे कई सालों से CSTPS में कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें आज तक ट्रेनी की श्रेणी में ही रखा गया है, जिसके कारण उन्हें नियमित सेवा से मिलने वाले लाभ नहीं दिए जा रहे हैं। उन्होंने इसे “लंबे समय से चली आ रही प्रथा” बताते हुए कहा कि यह व्यवस्था उन प्रावधानों का उल्लंघन है जो परियोजना-प्रभावित परिवारों को संरक्षण देने के लिए बनाए गए हैं।
याचिका में उल्लिखित प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं—
- 21 जनवरी 1980 का सरकारी संकल्प (GR)
- महाराष्ट्र परियोजना-प्रभावित व्यक्तियों का पुनर्वास अधिनियम, 1999
- राज्य की बिजली उत्पादन एवं वितरण कंपनियों की प्रशासनिक परिपत्र
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, ये सभी प्रावधान PAPs को वरीयता और समय पर सेवा नियमितीकरण देने के लिए बाध्य करते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने 26 दिसंबर 2024 की भर्ती विज्ञप्ति को भी चुनौती दी है, यह आरोप लगाते हुए कि CSTPS ने PAPs के लिए अनिवार्य पांच प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं किया। इससे परियोजना-प्रभावितों के लिए उपलब्ध कानूनी संरक्षण और कमजोर हो गया है।
PAPs ने अदालत से आग्रह किया है कि—
- उनकी सेवाओं का नियमितीकरण किया जाए,
- सभी सेवा-संबंधी लाभ प्रदान किए जाएं, और
- PAP आरक्षण नीति का सही अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और CSTPS से उनके जवाब दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई की तिथि बाद में निर्धारित की जाएगी।




