बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जून 9 मुम्ब्रा ट्रेन हादसे में आरोपी बनाए गए सेंट्रल रेलवे के दो इंजीनियरों को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की।
न्यायमूर्ति एन. आर. बोरकर की एकल पीठ ने पुलिस को निर्देश दिया कि आरोपियों — विशाल डोलस और समर यादव — के खिलाफ 9 दिसंबर तक कोई भी दखलकारी या बलपूर्वक कार्रवाई न की जाए। कोर्ट उस दिन दोनों की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
डोलस और यादव ने हाईकोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया जब थाणे सत्र न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। सत्र न्यायालय ने माना था कि पांच यात्रियों की मौत और नौ के घायल होने वाली इस घटना को “साधारण दुर्घटना” नहीं कहा जा सकता। अदालत के अनुसार हादसा रेलवे इंजीनियरों और अन्य अधिकारियों द्वारा “जानबूझकर की गई लापरवाही या चूक” का परिणाम था।
यह हादसा मुम्ब्रा रेलवे स्टेशन के पास सेंट्रल रेलवे की मेन लाइन पर हुआ था, जहां पांच यात्री चलती ट्रेनों के बीच से नीचे गिरकर मौत का शिकार हो गए।
सेंट्रल रेलवे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने हादसे के लिए भीड़-भाड़ को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया था कि एक ट्रेन पर फुटबोर्ड पर खड़े यात्री के बैग के दूसरे ट्रेन के यात्रियों से टकराने के कारण यह दुर्घटना हुई।
हालांकि, वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (VJTI) की तकनीकी जांच में अलग निष्कर्ष सामने आया। रिपोर्ट में ट्रैक ज्योमेट्री में खामियां, अधूरी वेल्डिंग, अनवेल्डेड जॉइंट और ‘कैन्ट’ में गड़बड़ियों को प्रमुख कारण बताया गया। जांचकर्ताओं का कहना है कि अधूरी वेल्डिंग और ट्रैक क्लीयरेंस में कमी ने हाई-स्पीड क्रॉसिंग के दौरान जोखिम बढ़ा दिया।
इस महीने की शुरुआत में दर्ज मामले में रेलवे अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है कि भारी बारिश और रखरखाव कार्यों के बाद जारी चेतावनी आदेशों की अनदेखी की गई और ट्रैक की खामियों को दूर नहीं किया गया।
सत्र न्यायालय ने रेलवे के “बैकपैक थ्योरी” को भी खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि इस दावे के समर्थन में कोई तस्वीर या वीडियो उपलब्ध नहीं है और यात्रियों द्वारा आमतौर पर बैग आगे की ओर कैरी किए जाते हैं, न कि बाहर की ओर निकले हुए।
हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं में आरोपियों ने तर्क दिया कि VJTI की रिपोर्ट “अनुमानों पर आधारित” है और बाध्यकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक स़ाधारण दुर्घटना थी और इसे आपराधिक जिम्मेदारी में नहीं बदला जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने अब गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक लगाते हुए मामले को अगली सुनवाई के लिए 9 दिसंबर को सूचीबद्ध कर दिया है।




