बॉम्बे हाईकोर्ट ने निर्माण स्थलों की धूल नियंत्रण के लिए समिति बनाई; कहा—AQI सुधार में समय लगेगा, लेकिन निर्माण प्रदूषण तुरंत रोका जा सकता है

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई की खराब होती एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की समस्या दीर्घकालिक है, लेकिन शहर में निर्माण गतिविधियों से पैदा हो रहा प्रदूषण मौजूदा दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करवाकर जल्दी नियंत्रित किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंकड़ की पीठ ने शहर की बिगड़ती हवा को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पांच-सदस्यीय स्वतंत्र समिति गठित की। इसमें बीएमसी, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। समिति निर्माण स्थलों का निरीक्षण करेगी और देखेगी कि प्रदूषण-नियंत्रण के नियमों का पालन हो रहा है या नहीं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से यह बताया गया कि 2023 से मुंबई का AQI हर साल बिगड़ता गया है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने स्वीकार किया कि समस्या बड़ी है, लेकिन यह भी कहा कि मुंबई में सुधार की संभावनाएं बेहतर हैं।

उन्होंने कहा, “इसमें समय लगेगा। दिल्ली 15 साल से जूझ रही है। मुंबई के पास कुछ फायदे हैं। मुंबई में यह किया जा सकता है।”

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पीठ ने कहा कि निर्माण कार्यों से होने वाला धूल प्रदूषण तुरंत नियंत्रित किया जा सकता है, और यदि दिशानिर्देशों को कड़ाई से लागू किया जाए तो “एक से दो हफ्तों में” असर दिख सकता है।

अदालत ने बीएमसी और एमपीसीबी को निर्देश दिया कि वे 15 दिसंबर तक एक्शन-टेकन रिपोर्ट दाखिल करें और बताएं कि पिछले वर्ष वायु प्रदूषण रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए थे।

पीठ ने कहा कि निर्माण साइटों पर विशेष स्क्वॉड की विज़िट, सीसीटीवी कैमरे, सेंसर-आधारित एयर क्वालिटी मॉनिटर जैसी शर्तों से जुड़े सभी रिकॉर्ड जांच के लिए उपलब्ध होने चाहिए।

न्यायालय द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता दरियस खंबाटा ने बताया कि 2024 में निर्माण स्थलों के लिए तय किए गए दिशानिर्देश—जैसे सीसीटीवी लगाना, लगातार एयर मॉनिटरिंग करना, पानी का छिड़काव करना—जमीन पर लागू नहीं हो रहे।

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बीएमसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने कहा कि निगम ने विशेष स्क्वॉड तैनात किए हैं जो निर्माण स्थलों का यादृच्छिक निरीक्षण करते हैं।

खंबाटा ने वाहन प्रदूषण को भी बड़ा स्रोत बताया।

पीठ ने कहा कि वाहन प्रदूषण पर भी काम करना होगा, लेकिन इस पर बाद में विचार किया जाएगा ताकि मनमाने दंडात्मक कदमों के लिए रास्ता न खुले।

अदालत ने टिप्पणी की, “वे गाड़ियां ज़ब्त करना और चालान काटना शुरू कर देंगे। आदेशों से नागरिकों को परेशान नहीं होना चाहिए।”

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