बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) सेल को निर्देश दिया है कि वह एक कानून की छात्रा द्वारा दाखिल याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल करे। याचिका में 2025 की MAH-LLB-3Y-CET परीक्षा के एक प्रश्न की वैधता को चुनौती दी गई है, जिसमें केवल एक सही उत्तर चुनने के लिए कहा गया था, लेकिन याचिकाकर्ता का आरोप है कि उस प्रश्न में एक से अधिक सही उत्तर संभव थे।
मालाड निवासी याचिकाकर्ता शशिवदना शेट्टी ने तीन वर्षीय LLB कार्यक्रम की प्रवेश परीक्षा दी थी और परीक्षा के एक विशेष प्रश्न को लेकर आपत्ति जताई थी। प्रश्न में चार विकल्प — टीबी (tuberculosis), डायबिटीज (diabetes), इन्फ्लुएंजा (influenza), और हेपेटाइटिस (hepatitis) — दिए गए थे, जिनमें से एक संचारी रोग (communicable disease) की पहचान करनी थी। CET सेल ने “इन्फ्लुएंजा” को सही उत्तर घोषित किया, लेकिन शेट्टी ने तर्क दिया कि टीबी और हेपेटाइटिस बी भी विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त संचारी रोग हैं।
शेट्टी ने “टीबी” को अपना उत्तर चुना और इसे एक अत्यधिक संक्रामक वायुजनित रोग बताते हुए कहा कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। उन्होंने दावा किया कि प्रश्न दोषपूर्ण था क्योंकि उसमें एक से अधिक वैध उत्तर संभव थे, जिससे परीक्षार्थियों को अनुचित स्थिति में डाल दिया गया।

परिणाम 30 मई को घोषित होने के बाद, शेट्टी ने CET पोर्टल के माध्यम से ₹1,000 की निर्धारित फीस देकर आधिकारिक आपत्ति दर्ज की। उन्होंने अपनी आपत्ति के समर्थन में नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन और मेरियम-वेबस्टर जैसे प्रामाणिक स्रोतों के हवाले भी दिए। लेकिन जब 13 जून को CET सेल ने आपत्तियों की सूची प्रकाशित की, तो उनकी आपत्ति को उसमें शामिल नहीं किया गया। ईमेल और CET कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से जाकर फॉलो-अप करने के बावजूद उन्हें कोई समाधान नहीं मिला और उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी गई।
अदालत में CET सेल ने जवाब दिया कि शेट्टी को पहले आपत्ति निवारण समिति से संपर्क करना चाहिए था। अब हाईकोर्ट ने CET सेल को निर्देश दिया है कि वह याचिका में उठाए गए मुद्दों पर हलफनामा दाखिल करे।