बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन निलंबित सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) कर्मियों को अग्रिम जमानत प्रदान की है, जिन पर पिछले महीने मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर एक ज्वैलर और उसकी बेटी को धमकाकर ₹30,000 वसूलने का आरोप है।
न्यायमूर्ति नितिन आर. बोरकर ने अधिकारियों राहुल भोसलें, ललित जगताप और अनिल राठौड़ की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि उनके खिलाफ दर्ज आरोप “अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए” प्रतीत होते हैं। अदालत ने आदेश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में तीनों को ₹25,000 के निजी मुचलके पर रिहा किया जाए। साथ ही, उन्हें गवाहों से संपर्क न करने और इस सप्ताह जांच अधिकारी के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया गया।
राजस्थान निवासी एक ज्वैलर की शिकायत पर दर्ज एफआईआर के अनुसार, 10 अगस्त को वह और उसकी बेटी राजस्थान जाने से पहले स्टेशन पर रोके गए। तलाशी के दौरान पुलिस को ₹31,900 नकद और 14 ग्राम सोना मिला।

ज्वैलर का आरोप है कि उसे कमरे के अंदर ले जाकर जेल भेजने की धमकी दी गई और जबरन दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराए गए। बाद में सोना और ₹1,900 लौटा दिए गए, लेकिन शेष ₹30,000 कथित रूप से पुलिसकर्मियों ने रख लिए। शिकायतकर्ता ने पांच दिन बाद अपने गृहनगर पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद मामला मुंबई पुलिस को सौंपा गया।
अभियोजन ने यह भी बताया कि तलाशी की कोई प्रविष्टि स्टेशन रजिस्टर में नहीं की गई और न ही यह प्रक्रिया सीसीटीवी निगरानी में हुई, बल्कि दरवाजे बंद कर की गई।
इससे पहले सत्र न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत काले ने कहा था कि सच्चाई सामने लाने के लिए पुलिस हिरासत में पूछताछ ज़रूरी है और उस समय जमानत देने से अभियुक्तों को अनुचित सुरक्षा का अहसास होगा।