दिल्ली हाई कोर्ट ने एक दाखिल याचिका पर सुनावई करते हुए कहा कि केंद्र और केजरीवाल सरकार को कई बार आदेश देने के उपरांत आप सरकार अधिवक्ताओं के 6 माह से अधिक वक्त से लंबित बिलों का भुगतान नही कर रही है।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की एकल पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट की एक बेंच ने सरकारी वकीलों के बिलों को मंजूरी देने के लिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बीते वर्ष दिल्ली सरकार को 1 फरवरी 2020 से पहले बकाया फीस को क्लियर करने का निर्देश दिया था। लेकिन उसके बाद भी केंद्र सरकार ने बिलों को मंजूरी नही दी है। और अधिवक्ताओं को रिट याचिका दायर करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
हाल ही में वकील प्रणय रंजन ने दिल्ली सरकार के विरुद्ध एक ओर याचिका दाखिल की है। इस याचिका में पेशेवर बिलों के भुगतान की मांग की गई है। रंजन ने कोर्ट के समक्ष कहा कि याचिका दाखिल करने के बाद 2019 में उनके बिलों को मंजूरी दे दी गई थी। लेकिन 2018 की नही। रंजन ने बताया कि 2018 की बकाया राशि 3.46 रुपए थी। रंजन की याचिका पर कोर्ट ने आदेश दिया कि याची के बिल 30 दिनों के अंदर क्लियर किए जाएं।
आपको बता दें कि एक फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार और सरकारों विभाग को निर्देश दिया था कि वह यह सुनिश्चित करें कि जिन वकीलों की उन्होंने सेवाएं ली हैं उनकी फीस का भुगतान नियत समय पर कर दिया जाए।
जस्टिस प्रतिभा ने कहा है कि किसी भी हालातों में यह नही होना चाहिए कि जिन अधिवक्ताओं की सेवाएं ली गई हैं। उन्हें फीस भुगतान के लिए अपने मुवक्किल के ऊपर मुकदमा दायर करना पड़े।
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